कुछ तो शर्म करो
डाक्टर उरुक्रम शर्मा
NEET Result 2024: नेता आखिर किस खाल के बने होते हैं, दुनिया के तमाम देशों को इस पर शोध कराना चाहिए। कैसे उन्हें जिन्दा मख्खी निगलने की ट्रेनिंग दी जाती है? कैसे वो इसमें इतनी जल्दी पारंगत हो जाते हैं? कैसे इन्हें शर्म आनी बंद हो जाती है? कैसे ये बेखौफ कुछ भी स्टेटमेंट दे देते हैं? कैसे झूठ पर सच की मुहर लगा देते हैं? ताजा मामला देखें तो देश के शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बिना किसी जांच के एनटीए को ईमानदारी का सर्टिफिकेट जारी कर दिया? बिहार में जो नीट परीक्षा में पकडाए गए, पुलिस ने जांच में दोषी माना, उन्हें गलत ठहराते हुए, कैसे एनटीए को ईमानदार बता दिया गया?
सरकार देश में नई बनी है, लेकिन जनता को जितना बेवकूफ समझ कर यह बैठे थे, जनता ने इन्हें दिन में तारे दिखा दिए। दिया था, इस बार 400 पार का नारा, लेकिन ये तो 300 पार भी नहीं कर पाए। इसके बाद भी इनका अहंकार कम नहीं हुआ। कितने अफसोस की बात है। गड़बड़ी होने पर एनटीए के चैयरमैन विनीत जोशी को इस्तीफा नहीं लिया गया। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो भी इनको शर्म नहीं आई। कहने लगे, कहीं कोई गड़बड़ नहीं हुई, सुप्रीम कोर्ट में जवाब दे देंगे।
NEET कैसे बना टॉपर, सेंटर और रिजल्ट का घमासान
विनाशकाले विपरीत बुद्धि की कहावत यूं ही चरितार्थ नहीं होती है। वैसे भी इस बार पांच साल का शासन लोहे के चने चबाने जैसा होगा। शायद सारे मंत्रियों ने अपने अपने लिए डेंट्स्टि अपाइंट कर लिए होंगे। उनसे कैसे इन्हें चबाना है, इसकी राय भी ले ली होगी। नीट की परीक्षा में 24 लाख विद्यार्थी शामिल हुए हैं। मामला 1563 छात्रों के ग्रेस मार्क्स से जुड़ा है। बच्चे डाक्टर बनने का सपना देख रहे हैं। सरकार के मंत्री गड़बड़ नहीं मान रहे हैं, गजब है।
चारों ओर से मामला बिगड़ता देख, अब सुप्रीम कोर्ट में जवाब पेश किया गया है कि 1563 छात्रों के ग्रेस मार्क्स रद्द करके दुबारा परीक्षा करवाई जाएगी। इनकी 23 जून को रिएग्जाम होगा और 30 जून से पहले रिजल्ट घोषित किया जाएगा। ये तो करना ही था, वरना कोई छोड़ता कहां? सवाल यह है कि जब नीट के रिजल्ट की तारीख 14 जून को घोषित की थी, तो रिजल्ट 10 दिन पहले यानि 4 जून को ही क्यों घोषित कर दिया गया? कौन नहीं समझता है। देश में लोकसभा के चुनाव परिणाम की आड में नीट का खेल दब जाएगा और आसानी से सारे काम हो जाएंगे। लेकिन मकसद कामयाब नहीं हुआ।
सरकार और उनके मंत्रियों को सोचना चाहिए कि परीक्षा से छात्रों की पूरी जिन्दगी जुड़ी होती है, पूरे सपने जुड़े होते हैं। उन सपनों को तोड़ने का पाप अपने माथे मत लो, बल्कि सपनों का साकार बननेे में सहयोगी बनो। वैसे ही समूचे देश में चंद रुपयों को लालच में तमाम परीक्षाओं के पेपर लीक हो रहे हैं, या फिर नकल माफिया अपने उल्लू सीधे कर रहे हैं। जब मामले पकड़े जाते हैं, तो उसमें सरकारी कर्मचारी, कोचिंग संचालक और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों के नाम ही सामने आते हैं। मतलब जिन्हें देश की तकदीर बनाने का जिम्मा होता है, वो ही खलनायक बन जाते हैं।
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