ब्यावर। शहर के सबसे बडे सरकारी अस्पताल राजकीय अमृतकौर चिकित्सालय की एमसीएच विंग का गायनिक विभाग इन दिनों चिकित्सकों तथा नर्सिगकर्मियों की कमी से जूंझ रहा है। हालात यह हैं कि प्रतिदिन 150 से 200 रोगियों के बीच ओपीडी होने के बावजूद यहां पर मात्र तीन चिकित्सक उपलब्ध है और 11 नर्सिग आफिसर तैनात है। एमसीएच विंग के गायनिक विभाग के आंकडों के हिसाब से यहां पर प्रतिमाह 6-7 सौ के करीब प्रसव होते है। जिसमें एक सौ से सवा सौ के बीच सीजेरियन प्रसव होते है, जिसके चलते विभाग में कार्यरत चिकित्सकों पर यह भार अत्यधिक है।
एमसीएच विंग प्रभारी तथा वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. विद्या सक्सैना ने बताया कि दौ सौ रोगियों के करीब ओपीडी वाली गायनिक विंग में वर्तमान में तीन चिकित्सक कार्यरत है। पूर्व में यहां पर 5 गायनिक चिकित्सक कार्यरत थे लेकिन एक चिकित्सक का स्थानातंरण तथा एक के सेवानिवृत होने के बाद अब यहां पर मात्र 3 ही गायनिक चिकित्सक कार्यरत है जिसके चलते कई बार परेशानिया खडी हो जाती है। 3 ही चिकित्सक होने के कारण कई बार अवकाश की स्थिति में परेशानियां और बढ़ जाती है।
डा. सक्सैना ने बताया कि 5 सौ से अधिक प्रसव वाले संस्थानों में 16 नर्सिंग आफिसर्स की जरूरत होती है लेकिन यहां पर 11 नर्सिग आफिसर्स ही तैनात है जिसके कारण भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 11 में से भी इस माह एक नर्सिंग आफिसर्स की सेवानिवृति होने के बाद यहां पर मात्र 10 ही नर्सिग आफिसर्स रहेंगे। डा. सक्सैना ने बताया कि इन सब के बावजूद विभाग के लक्ष्य कार्यक्रम के तहत यहां का लेबर रूम गत वर्ष प्रमाणित हो चुका है और इस वर्ष भी स्टाफ ओटी तथा लेबर रूम को फिर से लक्ष्य के तहत प्रमाणित करवाने में जुटे हुए है।
मालूम हो कि राजकीय अमृतकौर चिकित्सालय पर शहर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के रोगियों का दबाव बना रहता है। पास ही में सटते भीलवाडा तथा पाली जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में गायनिक विभाग की सेवाएं नहीं होने के कारण यहां के रोगी ब्यावर ही पहुंचते है जिसके चलते गायनिक विभाग में सबसे ज्यादा दबाब रहता है। गायनिक जैसे संवेदनशील विभाग में गायनिक चिकित्सकों की कमी निश्चित रूप से चिंता का विषय है।