जयपुर। राजस्थान विधानसभा के इतिहास में पहली बार राष्ट्रपति का संबोधन हुआ। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने विधानसभा को संबोधित करते हुए कहा ये गर्व की बात है की देश के दो सदनों को राजस्थानी चला रहे हैं। इसके साथ ही राष्ट्रपति मुर्मू ने संबोधित करते हुए विधायकों को नसीहत भी दी। विधायकों को नसीहत देते हुए कहा मैं और मेरा से ऊपर उठ कर प्रदेश व जनता के लिए सोचें। राष्ट्रपति मुर्मू ने इस दौरान अपने भाषण की शुरूआत राजस्थानी भाषा बोल कर की।
विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी के द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के स्वागत में अपना उब्दोधन दिया गया। लोकसभा स्पीकर डॉ सीपी जोशी ने राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए कहा राष्ट्रपति का संबोधन हमारे लिए गर्व की बात हैं। यह एक एतिहासिक पल हैं। जाशी ने कहा राजस्थान ने लंबा सफर तय किया हैं।
इस दौरान राज्यपाल कलराज मिश्र ने भी अपना संबोधन दिया। राज्यपाल कलराज मिश्र ने अपना संबोधन देते हुए सरकार पर तंज कसा। राज्यपाल ने तंज कसते हुए कहा सत्रावसान करें ना की एक ही सत्र को लंबा चलाएं। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा विधायक सदन की गरिमा को भुल जाते हैं। और विधायकों द्वारा हंगामा शुरू कर दिया जाता हैं। दूसरे को सुनने और समझने का मौका दे। राष्ट्रपति के संबोधन के बाद विधानसभा की कार्रवाई शुरू की गई। राष्ट्रपति के साथ ही विधायकों का ग्रुप फोटो भी हुआ।
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने अपने संबोधन के दौरान कहा अतिथि देवो भव: की परंपर को राजस्थान ने बखुबी निभाया हैँ। राजस्थान का अतिथि सत्कार कभी भूला नही जा सकता। राजस्थान की मीरा ने भक्ति साहित्य में अमूल्य योगदान दिया हैं। वहीं इस दौरान राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने मोतीलाल तेजावत को याद करते हुए कहा तेजावत ने जनजाति के लोगों को एकता के सूत्र में पिरोने के लिए संघर्ष किया था। इसके साथ ही राष्ट्रपति मुर्मू ने कालीबाई भील के बलिदान को भी याद किया।