'स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा'। यह नारा हर भारतीय की जुंबा पर रहता है। देश प्रेम की भावना से ओतप्रोत इस नारे को देने वाले और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में अहम भूमिका निभाने वाले लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की आज बर्थ एनिवर्सिरी है। बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ था। तिलक लोकमान्य ही नहीं सर्वमान्य भी थे जिन्होनें एक पूरे दौर का नेतृत्व किया था।
क्रांतिकारियों के पक्ष में लिखने पर मिली 6 साल की सजा
तिलक भारतीय राष्ट्रवादी, पत्रकार, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और भारतीय आंदोलन के लोकप्रिय नेता रहे हैं। ग्रेजुएशन के बाद शिक्षण कार्य किया और फिर पत्रकार बन गए। बात 30 अप्रैल 1908 की है जब खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चंद चाकी ने जज किंग्सफोर्ड को निशाना बनाते हुए बम विस्फोट किया था। इस दौरान 2 ब्रिटिश महिलाओं की मौत हो गई। अंग्रेजों ने खुदीराम बोस को गिरफ्तार कर उन पर मुकदमा चलाया। तिलक ने दोनों क्रांतिकारियों के पक्ष में अपने अखबार 'केसरी' में लिखा। इस लेख के कारण तिलक को 3 जुलाई 1908 को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया। उन्हें 6 साल तक बर्मा के मंडले जेल में रखा। जेल में रहते हुए तिलक ने 400 पन्नों की किताब 'गीता रहस्य' लिखी।
राजद्रोह का भी चला मुकदमा
बाल गंगाधर तिलक पर लेख लिखने पर एक ही नहीं और भी मुकदमे चले। 1896-97 के समय महाराष्ट्र में प्लेग महामारी फैली। इससे निपटने के लिए महामारी अधिनियम 1897 बनाया था। इसके प्रावधानों के खिलाफ भी तिलक ने लिखा था. जिसके बाद उन पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया। तिलक को 18 महीने जेल की सजा सुनाई गई, जहां उन्होंने पहली बार स्वराज के अपने विचारों को विकसित किया।
आपको बता दें आज बाल गंगाधर तिलक के साथ ही स्वतंत्रता सेनानी चंद्र शेखर आजाद की भी जयंती है। आजाद के शिक्षा और महिला सशक्तिकरण पर विचार आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। उनके आजादी के नारों से उन्होनें खुद को अमर बना दिया।