जैसलमेर। भारत ही नहीं बल्की यदि हम दुनिया की भी बात करे तो भूतिया जगह में कुलधरा का नाम हमें सबसे ऊपर देखने को मिलता हैं। जैसलमेर शहर से 18 किमी दूर कुलधरा गांव हैं। यहां पालीवाल ब्राह्मणों का साम्राज्य हुआ करता था। आज यह गांव 500 सालों से वीरान पड़ा हुआ हैं। इस गांव को भूतिया जगहों में गिना जाता हैं। कुलधरा गांव को पालीवाल ब्राह्मण समाज की और से सरस्वती नदी के किनारे बसाया गया था। उस समय इस गांव में चहल कदमी हुआ करती थी आज यह गांव वीरान पड़ा हैं और किसी डरावनी जगह से कम नहीं हैं।
पुस्तकों और साहित्यिक वृत्तांतों में देखने को मिलता हैं कि इस गांव में पाली के एक ब्राह्मण कधान ने सबसे पहले अपना घर बसाया था। जिसका नाम उधनसर रखा गया। 1800 के दशक में मंत्री सलीम सिंह के अधीन उस समय एक जागीर हुआ करती थी। सलीम सिंह लागों को बेवजह परेशान किया करता था। सलीम सिंह को ग्राम के प्रधान की बेटी बेहद पसंद थी। जिस पर सलीम सिंह ने ग्रामीणों को धमकी तक दे डाली।
मुखिया को सलीम ने धमकी दी या तो अपनी बेटी दीवान को दे दे वरना सजा के लिए तैयार रहे। सलीम की धमकी का ब्राह्मणों में कोई खोफ नजर नहीं आया। ब्रह्मणों ने निर्णय लिया वह अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं करेंगे। जिसके बाद सभी ब्राह्मणों ने महापंचायत बुलाई। महापंचायत बुलाकर एक निर्णय लिया यह निर्णय आसान नहीं था। इस दौरान सभी ने मिलकर फैसला किया की वह कुलधरा को छोडकर चले जाएंगे। जिसके बाद रातों रात 85 गांव एक साथ खाली हो गए।
यह आज तक कोई नहीं जान पाया की आखिर 85 गांव के ब्राह्मण एक साथ कहा गए। आखिर उनके साथ क्या हुआ। ब्राह्मणों ने गांव को खाली करते समय श्राप दिया की यह कुलधरा हमेशा वीरान रहेगा। और आज तक कुलधरा उसी श्राप के कारण वीरान पड़ा हैं। कुलधरा में आज तक कोई नहीं बस पाया। कई बार वैज्ञानिकों की टीम कुलधरा पहुंची हैं। वैज्ञानिकों ने यहा कई रसर्च की हैं। उनकी मशीनों में आवाज और तरंगों की रिकॉर्डिंग हुई जिससे ये पता चलता हे की कुलधरा में आज भी कुछ शक्तियां मौजूद हैं जो इस गांव में किसी को रहने नहीं देती।