Child Marriage in Rajasthan: शादी के बाद भी जब बेटियां स्कूल में पढ़ने पहुंचती हैं तो समाज का बेहतर चेहरा सामने आता है। वहीं जब ये पता चलता है कि ये बेटियां नाबालिग हैं तो वो खुशी डर में बदल जाती है। राजस्थान के स्कूलों में मांग में सिंदूर और हाथों में रंग-बिरंगी चूड़ियां पहने अक्सर ऐसा देखा जाता है। ताजा मामला है राजस्थान के बूंदी का जहां स्कूल में दो नाबालिग बहनें सजधज कर सिंदूर और रंग-बिरंगी चूड़ियां पहनकर पहुंचीं। जिसे देखकर अध्यापकों को Child Marriage का शक हुआ। बाद में पता चला दोनों बहनों की 15 जुलाई को हनुमान जी का झोपड़ा गांव में विवाह किया गया है।
नवीं—दसवीं में है बाल वधुएं
ये दोनों छात्राएं अन्य पिछड़ी जाति से आती हैं। ये हिंडोली क्षेत्र के सरकारी स्कूल की 9वीं और 10वीं की छात्राएं हैं। जिनकी शादी परिवार वालों ने परंपरानुसार विवाह मुहूर्त देवशयनी एकादशी से पहले की गई। राजस्थान के कई क्षेत्रों में यह प्रथा अभी भी बदस्तूर जारी है। आमतौर पर इन दुल्हनों से पूछने पर ये टाल जाती हैं। एक बार विवाह होने के बाद शिकायत से भी कोई लाभ नहीं होता। वहीं ऐसा होने पर लड़की को स्कूल से निकाल लिया जाता है।
बाल विवाह के विरुद्ध कानून
Child Marriage in Rajasthan भारत में, बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के मुताबिक, शादी के लिए एक लड़की की उम्र 18 साल होनी चाहिए और लड़के की उम्र 21 साल। इससे कम उम्र में लड़के और लड़की की शादी कराई जाती है। बाल विवाह को रोकने के लिए भारत में आजादी से पहले का कानून और सजा का प्रावधान है।