जयपुर। Waqf Bill यानि वक्फ संशोधन बिल 2024 को लेकर भारत में इस समय राजनीति गरमाई हुई है। इस बिल को लेकर जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की हाल ही में दिल्ली स्थित संसद भवन एनेक्सी में बैठक हुई है। लेकिन इसी बीच राजस्थान में अजमेर दरगाह के खादिमों ने इस बिल की निंदा की है। इस बिल को उन्होंने मुस्लिमों के अपने धार्मिक मामलों का प्रबंधन करने और अपनी धार्मिक संपत्तियों की रक्षा करने के मौलिक अधिकारों पर खतरा बताया है।
अजमेर के खादिमों ने किया विरोध
अजमेर में खादिमों की संस्था अंजुमन मोइनिया फकरिया खुद्दाम-ए-ख्वाजा कमेटी के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने Waqf Bill का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने इसको मुस्लिमों के के धार्मिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप बताते हुए वक्फ के तहत संपत्तियों पर नियंत्रण प्राप्त करने का आरोप लगाया है। सरवर चिश्ती ने अजमेर में एक मीडिया कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए वक्फ बोर्डों में गैर-मुसलमानों की नियुक्ति की आज्ञा देने वाले प्रावधान पर गहरी चिंता व्यक्त की।
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इस्लामी सिद्धांतों द्वारा शासित धार्मिक निकाय वक्फ बोर्ड
Waqf Bill पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड इस्लामी सिद्धांतों द्वारा शासित धार्मिक निकाय है और गैर-मुस्लिम सदस्यों तथा नेतृत्व को शामिल करने से इन संस्थाओं की धार्मिक अखंडता और स्वायत्तता से समझौता किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि अंजुमन की चेतावनी है कि इससे वास्तविक वक्फ संपत्तियों को दरकिनार या विवादित बनाया जा सकता है जिस वजह से उनके धार्मिक और धर्मार्थ कार्यों में बाधा पैदा हो सकती है।
मुस्लिम निकायों को बताया बीजेपी समर्थक
Waqf Bill कुछ मुस्लिम निकायों द्वारा समर्थन दिए जाने पर सरवर चिश्ती ने उन्हें बीजेपी का समर्थक बताया। उन्होंने इन समर्थकों को मीर जाफर तक कह दिया जिन्होंने तीन तलाक और सीएए जैसे मुस्लिम विरोधी बिलों का समर्थन किया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि समुदाय उनके साथ इसी तरह का व्यवहार करेगा। इस विधेयक की समीक्षा के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति के बारे में चिश्ती ने कहा है कि मुस्लिम समुदाय को विधेयक के खिलाफ लड़ने के लिए केवल एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पर भरोसा है। मुस्लिम धर्म से जुड़े मामलों में कांग्रेस जैसी अन्य पार्टियों पर हमारा भरोसा बहुत पहले ही खत्म हो चुका है।
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