National Sports Day: राजस्थान की मिट्टी से अनेकों देशभक्तों ने जन्म लिया है और यहीं से जन्मी हैं वो बेटियां जिनपर हर देश को अभिमान होता है। इन्हीं धोरों में खेलते—कूदते बड़ी हुई कुछ बेटियां ऐसी भी हैं जो खेल के मैदान में दम दिखा रही हैं। राजस्थान में फुटबॉल जैसे खेल में ये बेटियां Ronaldo को मात देने की तैयारी कर रही हैं। बीकानेर जिले के नोखा में ढिंगसरी गांव से 12 बेटियों का राजस्थान की फुटबॉल टीम में सलेक्शन हुआ है। जिन्होंंके दम पर National Sports Day पर हम बता रहे हैं कैसे राजस्थान ने कर्नाटक के बेलगांव में अंडर-17 नेशनल फुटबॉल चैंपियनशिप को जीता।
पिता किसान या मजदूर
फुटबॉल खेलने वाली इन बेटियों के पिता किसान, मजदूर या बकरियां चराने का काम करते हैं। साधारण परिवारों में जन्मी इन लाड़लियों को सफलता के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा। यही नहीं इन्हें कई बार समाज और परिवार का भी विरोध भी झेलना पड़ा। इसके बाद 12 खिलाड़ियों का चयन इस गांव से टीम के लिए हुआ।
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ना कोच न सुविधाएं
राजस्थान के बीकानेर में जन्मी इन बेटियों ने 60 साल बाद अंडर-17 नेशनल फुटबॉल चैंपियनशिप में हमें जीत दिलाई। ये इसलिए भी खास है, क्योंकि ये जीत अभावों के बीच आई है। इनके पास न ही तो कोई विदेशी कोच है और न ही राजस्थान में फुटबॉल जैसे गेम के लिए ज्यादा सुविधाएं उपलब्ध हैं। फिर भी कहते हैं ना जहां चाह होती है वहां राहें बन ही जाती है। ऐसे ही इन बेटियों के लिए भी राहें बनती ही चली गई। जो इन्हें दुनियां के सामने मशहूर कर गया।
अब खिलाड़ियों की बात
टीम की कप्तान का नाम है संजू कंवर राजवी। जिनके पिता बेरोजगार हैं। इनके ताऊ जो बकरियां चराते हैं, उन्होंने इन्हें पाल-पोस कर बड़ा किया। संजू ने इस गेम में आठ गोल किए। वहीं भावना कंवर के पिता रघुवीरसिंह भी खेती—बाड़ी का काम संभालते हैं। उप कप्तान का नाम है हंसा कंवर। उनके पिता का देहांत हो चुका है। यहां भी खेती-बाड़ी पर ही जीवन निर्भर है। मुन्नी भांभू, मंजू कंवर जैसे अन्य खिलाड़ी भी ऐसी ही स्थितियों के बीच खेल रहे हैं। इनकी टीम के कोच हैं विक्रम सिंह। वे भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान, राजस्थान फुटबॉल के ब्रांड एम्बेसडर मगनसिंह राजवी के बेटे हैं। इन्होंने गांव में एक अकादमी खोली। करीब 6 साल तक मेहनत के बाद संघर्ष रंग लाया। मगन सिंह 82 साल के है और बीकानेर में ही रहते हैं। इन्हीं का सपना है कि फुटबॉल गांवों में आगे बढ़े। विक्रम सिंह 2021 में गांव आए आज इस गांव में करीब 200 फुटबॉल प्लेयर हैं।
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