Pitru Paksha 2024 : जयपुर। भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से अमावस्या तक पितृ पक्ष रहते हैं। इस बार पितृ पक्ष 17 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर, 2024 तक रहेगा। पितृ पक्ष पर परिजन अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए सनातन धर्म में साधकों और परिजनों के द्वारा तर्पण श्राद्ध कर्म और पिंडदान किया जाता है। परिजन अपने पितरों को तृप्त व प्रसन्न करने के लिए तर्पण के दौरान जल व श्राद्ध के माध्यम से अन्न देते हैं। ऐसे में आज हम जानेंगे कि आखिर परिजन अपने पूर्वजों के श्राद्ध पर ब्रह्माण, कौआ, गाय, और कुत्ते को ही भोजन क्यों कराते हैं। इसके पीछे का क्या महत्व है और क्या किंवदंती है….
कब किया जाता है श्राद्ध कर्म, किसको लगाते हैं भोग
श्राद्ध कर्म जातक की तिथि के दिन किया जाता है। जिसमें खरी, पुड़ी, सब्जी के साथ खट्टा मीठा समान बनाया जाता है जो अपने मानदान (पूज्यनीय रिश्तेदार) ब्राह्मण और परिजनों को खिलाया जाता है, लेकिन इसके पहले अपने पूर्वजों को भोग लगाने के लिए इसके चार भाग निकल जाते हैं, जिसमें कौवा, गाय, कुत्ता और कन्या का भाग शामिल रहता है।
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पशु-पक्षियों को ही क्यों लगाते हैं भोग
श्राद्ध पर पशु-पक्षियों को भोग लगाने के चलते कई लोगों के मन में ये सवाल उठता है आखिर इसके पीछे का रहस्य क्या है। कर्मकांडी ब्राह्मणों के अनुसार यह वसुदेव कुटुंबकम की भावना में समाहित है। 84 लाख देवताओं का जब हम आह्वान करते हैं तो सनातन धर्म में वायु को भी पूजा जाता है, हम अग्नि, आकाश, जल, पृथ्वी को भी पूजते हैं। इस प्रकार देवों के प्रति कृतज्ञता का भाव है। गाय जो हैं वह पवित्रता का सूचक हैं। स्वान (कुत्ता) स्वांग भक्ति के लिए, काग अर्थात कौआ मलिंता निवारक है। कन्या या अभ्यागत अर्थात अथिति के लिए देते हैं। यह श्राद्ध में भोजन के रूप में समाहित किए जाते हैं और इनका बहुत महत्व है।
-गाय में सभी देवता बसते हैं और श्राद्ध में गाय को भोजन देने से सभी देवता तृप्त होते हैं। इसलिए श्राद्ध में गाय को भोजन देना चाहिए।
-स्वान (कुत्ता) यमराज का पशु माना गया है। श्राद्ध में कुत्ते को अन्न खिलाने से यमराज प्रसन्न होते हैं।
-कौओं को श्राद्ध में खाना खिलाया जाता है क्योंकि कौआ यम का प्रतिक माना जाता है। जिसे दिशाओं का शुभ अशुभ सकेंत बताने वाला कहा जाता है।
-एक भाग अग्नि को भी दिया जाता है, जिससे देवताओं तक पहुंचता है। ऐसा करने से पितृ भी तृप्त होते हैं।
-चिटियों को भी श्राद्ध पक्ष में भोजन कराया जाता है। पितृ पक्ष में ब्राह्मण और कन्या को भी भोजन कराया जाता है।
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