मैरिटल रेप अपराध है या नहीं? आगामी सुनवाई 9 मई तय
सुप्रीम कोर्ट की मैरिटल रेप पर सुनवाई: क्या वैवाहिक बलात्कार, मैरिटल रेप अपराध घोषित होना चाहिए? इसी संवेदनशील और विवादास्पद विषय पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई का दिन तय किया है। आगामी 9 मई को सुनवाई की जाएगी।
कितने तरह के मामले हैं शामिल?
मैरिटल रेप के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के सामने 4 तरह के मामले हैं।
- पहला मैरिटल रेप अपवाद पर दिल्ली हाईकोर्ट के विभाजित फैसले के खिलाफ अपील है।
- दूसरा मामला याचिकाकर्ताओं के बारे में है जो मैरिटल रेप अपवाद के खिलाफ दायर की गई है।
- तीसरा मामला कर्नाटक से संबंधित है जिसमें कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले जिसमें पत्नी के साथ जबरन शारीरिक संबंध के लिए आईपीसी की धारा 376 के तहत एक पति के खिलाफ लगाए गए आरोपों को बरकरार रखने की चुनौती देती है।
- चौथा मामला मैरिटल रेप के मुद्दे में हस्तक्षेप करने वाले अनुप्रयोग है।
देश में लंबे समय से यह मुद्दा विवादों में रहा है। क्या मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में रखा जाए? इस विषय पर आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी जानकारी देते हुए 9 मई को आगामी सुनवाई की तिथि घोषित की है।
समाज से जुड़े वैवाहिक संबंधों में विवादास्पद मुद्दे पर, क्या होगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला? यह जानना समय के गर्भ में है। वैसे इस मामले को सीनियर एडवोकेट इंदिरा जय सिंह और एडवोकेट करुणा नंदी ने मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की बेंच के सामने आज उठाया। इसके उपरांत 9 मई को आगामी तारीख रखी गई।
तुषार मेहता सॉलीसीटर जनरल से मांगा जवाब
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने मैरिटल रेप को अपराध करार दिए जाने के मामले के बारे में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, उन्होंने इस विषय पर गंभीरता जाहिर करते हुए डेढ़ दिन का समय मांगा है।
केंद्र का जवाब?
समाज से जुड़े इस संवेदनशील विषय पर सरकार भी गंभीर नजर आती है। माना जा रहा है कि उसने भी इस केस की पूरी तैयारी कर ली है।