Rajasthan Politics : राजस्थान में उपचुनाव से पहले राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। राज्य में दो विधायकों के निधन के बाद 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। सभी पार्टियों ने जातिगत समीकरण बनाने शुरू कर दिए हैं। दावेदार भी टिकट के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं.। वैसे तो राज्य में 7 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, लेकिन आज हम बात करेंगे डूंगरपुर जिले की सबसे चर्चित चौरासी विधानसभा सीट की जहां से पूर्व विधायक राजकुमार रोत (Rajkumar Roat) सांसद बन चुके हैं। राजकुमार रोत की पूरे आदिवासी इलाके पर मजबूत पकड़ है।
आदिवासी पार्टी का है दबदबा (Rajkumar Roat)
राजस्थान के डूंगरपुर जिले की चौरासी सीट की बात करें तो इस आदिवासी बहुल सीट पर राजकुमार रोत (Rajkumar Roat) की विरासत को कौन आगे बढ़ाएगा। इसके लिए भारत आदिवासी पार्टी, बीजेपी, कांग्रेस के साथ ही भारतीय ट्राइबल पार्टी से कई दावेदार रेस में चौरासी विधानसभा सीट पर पिछले दो चुनावों से आदिवासी पार्टी का दबदबा देखने को मिल रहा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में भारतीय ट्राइबल पार्टी के टिकट पर राजकुमार रोत ने यहां से जीत दर्ज की थी। 2023 में राजकुमार रोत भारत आदिवासी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते हैं।
भाजपा-कांग्रेस हो चुकी है कमजोर
अब राजकुमार रोत बांसवाड़ा के सांसद बन चुके हैं। ऐसे में इस बार भी भारत आदिवासी पार्टी इस सीट पर मजबूत स्थिति में नजर आ रही है। हालांकि भारतीय आदिवासी पार्टी, भारतीय ट्राइबल पार्टी, भाजपा और कांग्रेस सभी विचारधाराओं से जुड़े कार्यकर्ता अब टिकट की दौड़ में हैं। हालांकि वर्ष 2018 और 2023 के विधानसभा चुनाव और हाल ही में हुए लोकसभा आम चुनावों के नतीजों ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि चौरासी में कांग्रेस और भाजपा कमजोर हुई है। यह और बात है कि अब सभी राजनीतिक दलों में टिकट की दौड़ में युवा और दूसरी पंक्ति के नेता खुलकर सामने आ रहे हैं।
दरअसल चौरासी विधानसभा की पूरी राजनीति का केंद्र भील प्रदेश की मांग और वर्तमान में बांसवाड़ा सीट से सांसद राज कुमार रोत (Rajkumar Roat) हैं। ऐसे में यह भी साफ है कि भले ही बाप पार्टी समाज के आधार पर प्रत्याशी तय करने की बात करती हो, लेकिन टिकट की घोषणा राजकुमार की इच्छा के अनुसार ही संभव है और वही प्रत्याशी जीतेगा।
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Rajkumar Roat के खास को मिलेगी टिकट
वर्ष 2018 और 2023 के चुनाव में भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा के संस्थापक सदस्य और जोथरी पंचायत समिति की प्रधान के पति पोपट खोखरिया का नाम प्रत्याशी के रूप में चर्चा में सबसे ऊपर था। लेकिन किस्मत ने दोनों बार उनका साथ नहीं दिया। पोपट खोखरिया जिले के सबसे बड़े सरकारी श्री भोगीलाल पंड्या पीजी कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष भी रह चुके हैं। छात्र राजनीति के रणनीतिकार होने के कारण युवाओं में उनकी अच्छी पैठ है, ऐसे में भारतीय आदिवासी पार्टी से पोपट की दावेदारी फिर सबसे ऊपर है। लेकिन देखना यह है कि समाज के समाज और किस्मत के खेल में पोपट का साथ कौन देगा।
भाजपा से यह है उम्मीदवार
दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी लगातार दो चुनाव हार जाने के बाद सुशील कटारा के अलावा किस पर दांव आजमाती है, यह देखने वाली बात होगी। चर्चा है कि सुशील कटारा ने इस बार चुनाव लडने से साफ इंकार कर दिया है, हालाकि इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि भी नहीं है. लेकिन माना जा रहा हैं कि सुशील कटारा चुनावी समर से बाहर है. ऐसे में अब भाजपा से जिला महामंत्री और पूर्व प्रधान नानूराम, पूर्व उपप्रधान मणिलाल और वर्तमान में सीमलवाड़ा से प्रधान कारीलाल का नाम दावेदारों की लिस्ट में शामिल हैं. इन तीनों में पूर्व प्रधान नानूराम का नाम टॉप पर है।
कांग्रेस के पास जमानत बचाने के हालात
इधर कांग्रेस के पास जमानत बचाने जैसे हालात है फिर भी पूर्व प्रधान निमिषा भगोरा, पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा के भतीजे रूपचंद और खुद भगोरा के बेटे महेंद्र का नाम चर्चा में है. हालाकि युवा नेता के रूप में पूर्व प्रधान बसंती बगड़िया के बेटे अभिलाष का नाम मजबूती से सामने आया है।
अब देखना होगा कि चौरासी विधानसभा सीट से किस पार्टी से किसे टिकट मिलता है। चुनावी रणनीतिकारों की मानें तो चौरासी में भारत आदिवासी पार्टी, भाजपा, कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होगा, क्योंकि बापी पार्टी पहले ही यह घोषणा कर चुकी है कि वह विधानसभा में कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेगी।
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