जयपुर। अरावली की सुरम्य पहाड़ियों के बीच बसे जयपुर के आमेर क्षेत्र में अनदेखे कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल मौजूद है। ऐसा ही एक मंदिर है भूतेश्वर महादेव का। बाबा भूतेश्वर शहर से दूर घने जंगलों में विराजे हुए है। भूतेश्चर महादेव मंदिर अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है। बाबा के दर्शन के लिए हजारों की संख्या में भक्तों का जमावड़ा लगता है। ऐसा कहा जाता है कि वीराने में बसे महादेव सभी का मनोरथ पूर्ण करते है। बाबा तक पहुंचना इतना आसान भी नहीं है। बाबा ने अपना बसेरा घने जंगलों में किया हुआ है। जिसके कारण भक्तों को घने जंगल से होकर गुजरना पड़ता है।
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कभी भूतों का हुआ करता था बसेरा
सावन के पवित्र माह में भक्तों का ताता लगा रहता है। मान्यता है की पूरे वीराने के मध्य में बाबा की मूर्ति स्थापित थी और यहा भूत प्रेतों का बसेरा हुआ करता था। उसके बात संतों ने यहा पूजा शुरू की और आसुरी शक्ति का नास किया। 1727 में राजा जयसिंह ने जयपुर की स्थापना की थी। उस समय कच्छावा वंश की राजधानी आमेर हुआ करती थी। जिसे मीणा राजा दुल्हे राय से हासिल किया था। मंदिर के मंहत के अनुसार यह मंदिर मीणा राज से भी पहले का है। इस मंदिर में कहा जाता है एक संत के द्वारा जीवित समाधि भी ली गई है। इस मंदिर में धूणा भी है जहां आम लोगों को जाने नहीं दिया जाता है।
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जयपुर राज परिवार की है आस्था
भूतेश्वर महादेव मंदिर को लेकर इतिहासकार द्वारा कई दावे किए जाते है। इतिहासकार बताते हे की यह मंदिर 2000 वर्ष पुराना है। जयपुर के राज परिवार की भी भूतकेश्वर महादेव मंदिर में गहरी आस्था है। एक बार जब मिर्जा राजा जय सिंह दक्षिण में विजय के लिए जा रहे थे तब राजा जय सिंह ने बाबा से मन्नत मांगी थी। राजा जय सिंह ने दक्षिण में विजय हासिल की।