जयपुर। Rajasthan By Election : राजस्थान में सात सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने जा रहे हैं जिनमें से सिर्फ एक ही सीट ऐसी मानी जा रही है जहां निर्दलीय उम्मीदवार बाजी मारता दिख रहा है। और ये निर्दलीय उम्मीदवार देवली उनियारा सीट से चुनाव लड़ रहे नरेश मीणा हैं….जिनके प्रचार से तूफान आया हुआ है। यहां पर नरेश मीणा (Naresh Meena News) की सीधी टक्कर कांग्रेस के दिग्गज नेता केसी मीणा व भाजपा के राजेंद्र गुर्जर से हो रही है। इन चुनावों में एकतरफा वोटिंग होने से भाजपा-कांग्रेस को बगावत से ज्यादा भितरघात और असहयोग का सामना करना पड़ रहा है। कई सीटों पर भितरघात की शिकायतें दोनों ही दलों के प्रदेश नेतृत्व तक पहुंची हैं। हालांकि, दोनों ही दलों के प्रमुख नेता डैमेज कन्ट्रोल में जुट गए हैं। भाजपा में सीएम भजनलाल शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ और कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा, तीनों सह प्रभारियों ने मोर्चा संभाल लिया है। भाजपा में भितरघात की शिकायतें कम है, जबकि कांग्रेस में शिकायतें ज्यादा सामने आई हैं…इसी के चलते अब नरेश मीणा देवली उनियारा सीट पर बाजी मार सकते हैं…तो आइए जानते हैं कि भाजपा व कांग्रेस को भीतरघात व बागी कैसे नुकसान पहुंचा सकते हैं…
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भाजपा की बात करें तो दौसा व झुंझुनूं सीटों पर अंदरखाने नाराजगी साफ तौर पर दिख रही थी। हालांकि, भाजपा ने टिकट वितरण के बाद हुई बगावत को तो नियंत्रण में कर लिया। जो भी बड़े नेता बगावत पर उतरे थे, उनसे सीएम शर्मा और प्रदेशाध्यक्ष राठौड़ ने उन्हें मना लिया है। हालांकि कुछ सीटों पर अंदर खाने विरोध है। सूत्रों के अनुसार, दौसा और झुंझुनूं विधानसभा सीट पर अंदरखाने नाराजगी और असहयोग की शिकायतें ज्यादा हैं। दौसा और झुंझुनूं सीट पर स्थानीय कुछ पदाधिकारी और प्रमुख कार्यकर्ताओं के साथ सामाजिक संगठन पार्टी प्रत्याशी के साथ खुलकर अभी तक नहीं आए हैं। भाजपा के पास अभी खींवसर, रामगढ़, देवली-उनियारा और सलूम्बर में किसी तरह की शिकायत सामने नहीं आई है, लेकिन पार्टी ने इन सीटों पर भी नजरें गड़ा रखी हैं। जयपुर से बड़े नेता विधानसभा क्षेत्रों में लगातार बातचीत कर फीडबैक ले रहे हैं।
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कांग्रेस पार्टी की बात करें तो उसें पांच सीटों पर शिकायतें कार्यकर्ता और नेताओं की नाराजगी खुलकर सामने नहीं आ रही है, जिसके चलते अंदरखाने नाराजगी बरकरार है। इसी कारण प्रत्याशियों को सहयोग नहीं मिल रहा। कुछ प्रत्याशियों ने इसकी शिकायत पार्टी के बड़े नेताओं और पीसीसी में की है। भितरघात और नेताओं के असहयोग की शिकायतें मिलने के बाद प्रदेश नेतृत्व ने पार्टी के सह प्रभारियों और कॉर्डिनेशन कमेटियों के सदस्यों को बातचीत कर उनके गिले-शिकवे दूर करने को कहा है। प्रचार के दौरान प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी नाराज चल रहे नेताओं से बात करेंगे। नाराज चल रहे नेताओं को मनाने के लिए प्रदेश कार्यकारिणी या फिर जिले में अहम पद दिए जाने का आश्वासन देने को कहा गया है।
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अब बात उन सीटों की करें जहां पर भाजपा व कांगेस को सबसे ज्यादा असहयोग व भीतरघात की का डर है तो उनमें दौसा, खींवसर, झुंझुनूं, देवली-उनियारा और सलूम्बर सीट शामिल है। दौसा में 10 से ज्यादा नेता टिकट मांग रहे थे। खींवसर में भी भाजपा से कांग्रेस में आए सवाई सिंह की पत्नी को टिकट दिए जाने से नाराजगी है। झुंझुनूं में ओला परिवार को ही टिकट दिए जाने से कई नेता नाराज बताए जा रहे हैं। सलूम्बर में पूर्व सांसद रघुवीर मीना और उनके समर्थकों की नाराजगी सामने आई थी।
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हालांकि, इसी बीच अब भाजपा ने 15 से ज्यादा बड़े नेताओं को विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में दौरा करने को कहा है। इसी के चलते केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल खींवसर, दिया कुमारी रामगढ़, सतीश पूनिया झुंझुनूं, राजेन्द्र राठौड़ दौसा जिले के दौरे पर रहेंगे। कई मंत्री और विधायक भी बुधवार को अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों के दौरे पर रहेंगे। वहीं, इन चुनावों में सबसे हॉट सीट बन चुकी देवली उनियारा में कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे नरेश मीणा (Naresh Meena) ने धुंआधार प्रचार शुरू कर दिया है जिसका फायदा उन्हें साफतौर पर होता दिख रहा है। ऐसी खबरों से अपडेट रहने के लिए बने रहिए मॉर्निंग न्यूज इंडिया के साथ।
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