BJP State President Madan Rathore: राजस्थान की सात विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव होने वाले हैं। उपचुनाव में उम्मीदवारों के साथ बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ की भी परीक्षा होने वाली है। पहले टिकट वितरण में सभी से समझाइश और बाद में उठने वाले विरोधी स्वरों को चुप करने का जिम्मा प्रदेशाध्यक्ष राठौड़ के कंधों पर है। जो वो बखूबी निभा भी रहे हैं। यही नहीं Rajasthan Assembly By Election 2024 में अध्यक्ष जी ने एक और खास मुहीम छेड़ रखी है। जिससे एक ओर तो कांग्रेसियों के खेमें में हलचल मची हुई है। वहीं दूसरी ओर बीजेपी अपना जोर दिखा रही है। जहां प्रदेशाध्यक्ष के साथ सीएम भजनलाल शर्मा भी नजर आ रहे हैं। अब जान लेते हैं राठौड़ की उस नीति के बारे में जो उन्हें लाइमलाइट में ला रही है।
उपचुनावों में संभावनाएं बढ़ी
आपको बता दें बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ अपने सरल और सौम्य व्यवहार के लिए जाने जाते हैं। वे पार्टी में सभी के साथ व्यवहार बनाकर रखने में विश्वास रखते हैं यही नहीं सभी की बातें सुनते भी हैं। इसी का परिणाम है कि सालों पहले बीजेपी को छोड़ चुके नेता भी अब बीजेपी में जुड़ने लगे हैं। इससे एक ओर तो उपचुनावों में पार्टी की स्थिति मजबूत हो रही है। वहीं उपचुनावों में पार्टी के जीतने की संभावनाएं भी बढ़ती जा रही है।
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राजस्थानभर से जुड़ने लगे कांग्रेसी
राठौड़ खुद भी कहते हैं कि वे पार्टी में किसी को असंतुष्ट नहीं रहने देंगे। इसी कोशिश में वे सभी से मिलकर उनकी नाराजगी दूर करने में लगे हैं। बीते दिनों में ही देखें तो वे लगातार दौरे पर रहे। इस दौरान उन्होंने जमकर सभी से मुलाकात की। बीजेपी के रूठे कार्यकर्ता और नेताओं के साथ इस लिस्ट में कांग्रेसी भी कम नहीं थे। इस दौरान वे खींवसर, सवाईमाधोपुर, जालोर, डूंगरपुर आदि कई जगहों से कांग्रेसी नेताओं को बीजेपी में जोड़ने में कामयाब रहे।
RSS से प्रदेशाध्यक्ष तक का सफर
RSS प्रचारक से करियर की शुरूआत करने वाले मदन राठौड़ बीजेपी के दिग्गज नेताओं में शुमार हैं। उनसे पहले सीपी जोशी इस पद पर थे। फिर वे प्रदेश अध्यक्ष चुने गए। मदन राठौड़ ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया और वर्तमान राज्यसभा सांसद हैं। ओबीसी नेता और पाली की सुमेरपुर विधानसभा से दो बार विधायक भी रह चुके हैं। वे वसुंधरा राजे के शासनकाल में सरकारी उप मुख्य सचेतक भी रहे हैं। आपको बता दें राठौड़ ने 2023 के विधानसभा चुनावों के दौरान बीजेपी से टिकट मांगा था। पार्टी के टिकट न देने पर नाराज होकर उन्होंने निर्दलीय नामांकन भी दाखिल कर दिया था। बाद में पार्टी नेताओं के समझाने पर मान भी गए।
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