Jaipur News : जयपुर। सरकारी जमीनों पर भूमाफियाओं द्वारा अतिक्रमण करने को लेकर आए दिन नए नए मामले सामने आते रहते हैं लेकिन अब सरकारी जमीन पर अतिक्रमण का ऐसा मामला सामने आया है जिसको लेकर राजस्थान सरकार के भी होश उड़ाने वाली वाला है। जी हां, यह मामला है राजस्थान की राजधानी जयपुर के गांधी नगर में स्थित ओझा जी के बाग का जहां प्रस्तावित 40 फुट चौड़ी सड़कें अतिक्रमण की भेंट चढ़ी हुई और 55 सालों से अधूरी हैं। हालांकि, ऐसा नहीं कि इस जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए किसी ने आवाज नहीं उठाई…बल्कि समस्त गांधी नगर व ओझाजी के बाग की जनता ने जयपुर नगर निगम ग्रेटर, जयपुर विकास प्राधिकरण से लेकर भारत के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री कार्यालय तक को इसकी शिकायत की जा चुकी है….शिकायत भी मय नाम व हस्ताक्षर के समस्त गांधी नगर व ओझाजी के बाग की जनता की है….इतना ही नहीं बल्कि कई बार राष्ट्रीय स्तर के न्यूज पेपरों में इस इलाके में अतिक्रमण की बड़ी बड़ी छप चुकी है लेकिन अतिक्रमी इतना पावरफुल है कि शासन व प्रशासन पिछले 55 सालों से उसके सामने नतमस्तक हो रहा है…और ये सड़क आज भी अपने विकास को लेकर आंसू बहा रही है…तो आइए जानते हैं कि आखिर जयपुर के गांधी नगर में ओझाजी के बाग में अतिक्रमण की भेंट चढ़ी ये सड़कें अभी तक भी क्यों मुक्त नहीं हो पाई और और वो कौन शख्स है जो इस कुंडली मारकर बैठा हुआ जिसके सामने शासन प्रशासन चूं तक नहीं कर रहा।
मॉर्निंग न्यूज इंडिया के सामने राजस्थान की राजधानी जयपुर शहर में अतिक्रमण ऐसा मामला सामने आया है जिसको जनता द्वारा मुक्त कराने की कोशिश पिछले 55 सालों से की जा रही है…जी हां..आपने ठीक सुना है…पूरे 55 साल से जयपुर शहर के अतिमहत्वपूर्ण एवं प्रमुख स्थान ओझा जी का बाग, गाँधी नगर मे 2 सरकारी सड़को पर अस्थायी अतिक्रमण हो रखा है जिसकी वजह से आज भी यहां पर अर्धनिर्मित सड़कें अपने विकास को तरस रही है। समस्त गांधी नगर व ओझाजी के बाग की जनता अपने नाम, हस्ताक्षर व मोबाइल नंबर समेत लिखित में जयपुर नगर निगम ग्रेटर से लेकर भारत के राष्ट्रपति कार्यालय, प्रधानमंत्री कार्यालय तक में इस जमीन को मुक्त कराने के लिए अपील की जा चुकी है, लेकिन कहीं से भी अतिक्रमण हटाने को कार्रवाई नहीं की गई।
आपको बता दें कि ‘ओझा जी का बाग, गाँधी नगर की प्रस्तावित 40 फुट चौड़ी सरकारी सड़को की स्थिति अत्यंत दयनीय है। इन सड़कों पर रोजाना हजारों लोगों का आवागमन होता है। अवैध अस्थायी अतिक्रमण व अर्धनिर्मित सड़क होने के परिणाम स्वरूप यहाँ के निवासियों व आम जनता को कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। खसरा नंबर 481 के भूमि राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार सम्वत 2051-54, 2055-58 और 2071-74 की जमाबंदी एवं वर्तमान जमाबंदी के साथ-साथ अन्य सबूतों के आधार पर यह जमीन जयपुर विकास प्राधिकरण के नाम दर्ज है एवं सरकारी संपत्ति है। लेकिन आम जनता द्वारा जयपुर विकास प्रधिकरण में ही इस जमीन को अतिक्रमण कराने के लिए कई बार लिखित में अपील की जा चुकी है, जेडीए भी हाथ पर हाथ धरा बैठा है…आम जनता को यहां पर पिछले 55 सालों से आवागमन की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। जनता की इन शिकायतों की कॉपी मॉर्निंग न्यूज इंडिया के पास सुरक्षित है। अब यह भी जान लेते हैं कि आखिर ओझाजी का बाग गांधी नगर में यह जमीन कहां पर है और आम जनता को क्या क्या समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है…और इन समस्याओं के पीछे किसका हाथ है…
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आपको बता दें कि जयपुर विकास प्राधिकरण एवं नगर निगम से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी विकास प्राधिकरण एवं नगर निगम मात्र 2 पर स्थित यह अतिमहत्वपूर्ण 40 फुट र दिशा की ओर होकर गांधी नगर को जोड़ती है। अवैध अस्थायी अतिक्रमण व सड़क की अव्यवस्थित स्थिति के कारण आम जनता का आवागमन बहुत कठिन हो गया है। स्वर्गीय मानिकचंद जी सुराणा के पुत्र जीतेन्द्र सुराणा, राजेंद्र सुराणा, और स्वर्गीय मानिकचंद जी सुराणा के घरेलू निजी सहायक चंडीदान चारण भूमाफिया के तर्ज पर सड़क पर 8-10 ठेले रखकर और 4-5 ट्रक बड़े पत्थर डालकर अस्थायी अतिक्रमण कर लिया है। कई लोग अन्य जगह से ट्रेक्टर ट्राली में भरकर मृत पशु और सड़ा-गला गंदा कचरा इस अर्धनिर्मित रोड पर फेंक देते हैं, जिससे भारी गंदगी फैल रही है। इसके परिणामस्वरूप डेंगू, मलेरिया और अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है। नेहरू बालोद्यान में सैर करने वाले हज़ारों लोग भी सड़क के चारों ओर फैली गंदगी और बदबू से परेशान रहते हैं। रोड नहीं बन पाने के कारण यहाँ पर असामाजिक तत्वों द्वारा नशा करके बदतमीजी करना आम हो गया है। महिलाएं, लड़कियां एवं राहगीर इस रोड पर आवागमन करने में असुरक्षित महसूस करते है एवं स्थानीय लोगों में भय और चिंता व्याप्त रहती है। यह स्थिति विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं है।
‘ओझा जी का बाग’ में स्थित दूसरी अतिमहत्वपूर्ण 40 फुट चौड़ी सरकारी सड़क- VIP सड़क महात्मा गांधी मार्ग, हल्दिया भवन के पास से ‘द वेयरहाउस कैफ़े’ के सामने होकर गांधी नगर की सरकारी मल्टीस्टोरी इमारत से होते हुए बजाज नगर को जोड़ती है। इस सड़क पर भी स्वर्गीय मानिकचंद सुराणा के पुत्र जीतेन्द्र सुराणा, राजेंद्र सुराणा, और स्वर्गीय मानिकचंद सुराणा के घरेलू निजी सहायक चंडीदान चारण द्वारा झोपड़ियां, टूटी-फूटी गाड़ियां रख कर एवं तार-फेंसिंग करवा कर अस्थायी और स्थाई अतिक्रमण कर लिया गया है। जिसके परिणामस्वरूप 40 फुट चौड़ी सड़क अब केवल 25 फुट की रह गई है। इस स्थिति के कारण यातायात में बाधा उत्पन्न हो रही है, जिससे स्थानीय जनता, आम जनता, सरकारी कर्मचारी व प्रशासनिक अधिकारी को आवागमन में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
इन दोनों सड़कों पर हजारों-लाखों लोगों का निरंतर आवागमन होता है, जिसमें ओझा जी के बाग, गांधी नगर, और बजाज नगर की जनता शामित है। इसके अलावा, सरकारी कर्मचारी, प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस अधिकारी, न्यायिक मजिस्ट्रेट, जज, जिला कलेक्टर और अन्य वीआईपी अधिकारी भी इन सड़कों का आवागमन में उपयोग करते हैं। अब बताया जा रहा है कि स्वर्गीय मानिकचंद सुराणा ने राजनीतिक और अधिवक्ता पद का निजी स्वार्थ के लिए किया दुरुपयोग, फर्जी कागजात द्वारा सरकारी भूमि व सड़कों पर अतिक्रमण किया हुआ है।
आपको यह भी बता दें कि स्वर्गीय पदमावती देवी 1967 और 1970 के बीच सरकारी जमीन और सड़कों पर अवैध अतिक्रमण कर रही थी। इस पर कार्रवाई करते हुए, तहसीलदार ने खसरा नंबर 481 के संदर्भ में भूराजस्व अधिनियम की धारा 91 के तहत स्वर्गीय पदमावती देवी को पाबंद किया। जब तहसीलदार ने सरकारी नोटिस जारी किया, तो स्वर्गीय पदमावती देवी ने स्वर्गीय मानिकचंद जी सुराणा को अपने अधिवक्ता के रूप में नियुक्त किया। स्वर्गीय मानिकचंद सुराणा ने अपने “TWO IN ONE POWER” (राजनीतिक और अधिवक्ता पद) का दुरुपयोग करते हुए, स्वर्गीय पदमावती देवी की ओर से इस सरकारी जमीन की सिविल सुपारी ली। उन्होंने भूमाफिया की तर्ज पर, पदमावती और उनके परिवार के साथ मिलकर, 10-05-1970 को 4315 वर्ग गज सरकारी जमीन का अपने नाबालिग पुत्र जीतेन्द्र सुराणा के नाम पर मात्र 10,000 रुपये में फर्जी बैनामा करवा लिया। साथ ही उन्होंने 4621 वर्ग गज सरकारी जमीन के फर्जी इकरारनामा और अन्य दस्तावेज अपने रिश्तेदारों के नाम पर तैयार करवा लिए। इस फर्जी बैनामे में यह भी लिखा गया है कि जमीन राज्य सरकार द्वारा अवाप्त कर ली गई है और यदि किसी भी कारण से यह जमीन खरीददार के कब्जे से निकल जाती है, तो विक्रेतागण दी गई राशि लौटाने के लिए पाबंद नहीं होंगे और इस संबंध में उनकी कोई देयता नहीं होगी। इससे ये साबित होता है कि उन्हें स्पष्ट रूप से पता था कि यह जमीन सरकार-जयपुर विकास प्राधिकरण के नाम पर दर्ज है।
इससे पहले भी पदमावती देवी और उनके परिवार ने ओझा जी का बाग की पूरी भूमि को बिना मालिकाना हक और अवैध तरीके से 12-12-1968 को कल्याणमल को बेच दी थी। प्रतिज्ञा पत्र बिचौती जमीन के परिशिष्ट (क) में लिखा गया कि “वह भूमि जो गाँधी नगर में स्थित टोंक रोड पर 12 बीघा 1 विस्वा है वो ओझा जी के बाग के नाम से विख्यात है जिसके खसरा नंबर 477, 478, 479, 480 व 481 व 482 व 483 का वह भाग जो हमारे कब्जे में है । इस बिचोती में शामिल है। लेकिन 1200 वर्ग गज भूमि एवं मधु सूदन भवन जो प्रथम पक्षों की सदस्य शांता शर्मा की निजी सम्पति है एवंम व प्लाटो की भूमि जिसको प्रथम पक्ष के सदस्य ने सम्मिलित रूप से 31-05- 68 व 10-12-68 के बीच रजिस्ट्री द्वारा बेच दिए है इस बिचोती में शामिल नहीं है। यह कि वह भूमि जिस पर नगर विकास ट्रस्ट ने जबरदस्ती कब्ज़ा करके प्लाटो को बेच दिया है जिसका नगर विकास ट्रस्ट से मुआवज़ा या जमीन प्राप्त करनी है जो भूमि पं मधुसूदन जी के नाम थी। इस प्रतिज्ञा पत्र बिचौती से ये साफ जाहिर होता है की यह सरकारी संपत्ति थी।
स्वर्गीय मानिकचंद सुराणा ने अपने जीवनकाल में निजी स्वार्थ के चलते इन फर्जी कागजातों के आधार पर इन दोनों सड़कों के निर्माण को बाधित किया। कुछ साल पहले, मानिकचंद सुराणा और पदमावती देवी का निधन हो चुका है। वर्तमान में, स्वयं के निजी स्वार्थ हेतु भूमाफिया के तर्ज पर स्वर्गीय मानिकचंद जी सुराणा के पुत्र जीतेन्द्र सुराणा, राजेंद्र सुराणा, और स्वर्गीय मानिकचंद सुराणा के घरेलू निजी सहायक चंडीदान चारण अब भी उन फर्जी कागजातों के आधार पर जयपुर विकास प्राधिकरण और नगर निगम को इन दोनों सड़कों का निर्माण नहीं करने दे रहे है।
जनता, जनप्रतिनिधियों और विभिन्न संस्थाओं द्वारा जयपुर विकास प्राधिकरण एवं नगर निगम को बार-बार निवेदन किया गया है कि वे इन दोनों सड़कों से अतिक्रमण हटाकर 40 फीट चौड़ी सड़क का निर्माण कराएं। लेकिन, दुख की बात है कि आज तक इन सड़कों का निर्माण निर्माण नहीं हो सका। स्थानीय विधायक कालीचरण सर्राफ, वर्तमान पार्षद, पूर्व पार्षद, ओझा जी का बाग विकास समिति, राजकीय मल्टिस्टोरी फ्लैट्स आवासीय समिति तथा गांधी नगर क्लब ने पत्रों के माध्यम से तथा व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर इस मुद्दे पर जयपुर विकास प्राधिकरण और नगर निगम को अवगत कराया है।
नगर निगम और जयपुर विकास प्राधिकरण ने जनता की समस्याओं को समझते हुए मौके पर जाकर दोनों सड़को से अस्थायी एवं स्थायी अतिक्रमण हटाकर सड़को का निर्माण करना चाहा। लेकिन स्वर्गीय मानिकचंद सुराणा द्वारा तैयार किए गए फर्जी कागजात दिखाकर जीतेन्द्र सुराणा, राजेंद्र सुराणा, चंडीदान चारण एवं स्वर्गीय मानिकचंद सुराणा के सहायक अधिवक्ता सुभाषचंद शर्मा जयपुर विकास प्राधिकरण, नगर निगम, न्यायालय और पुलिस को गुमराह करके निर्माण कार्य को रुकवा देते है जिस कारण आज तक इन दोनों सड़कों का निर्माण नहीं हो पाया है।
गौरतलब है कि जनहित में विकास कार्यों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, राजस्थान सरकार और राजस्थान हाई कोर्ट ने समय-समय पर स्वच्छता और यातायात की सुगमता सुनिश्चित करने के लिए सड़कों से स्थाई और अस्थाई अतिक्रमण हटाकर निर्माण कार्यों के आदेश व निर्देश जारी किए हैं। सरकार और जनप्रतिनिधि सड़कों का निर्माण और चौड़ीकरण कर रहे हैं, साथ ही फ्लाईओवर और अंडरपास बनाकर शहरों को ट्रैफिक जाम से मुक्त कराने के प्रयास में लगे हुए हैं। इसी के चलते गांधी नगर की जनता ने एकबार फिर से अपनी समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए, JDA और नगर निगम से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस अति महत्वपूर्ण क्षेत्र की सड़कों से अस्थायी अतिक्रमण को हटवा कर सड़को का निर्माण करवाने की मांग की है। साथ ही, इन सड़कों के आसपास खाली पड़ी करोड़ों-अरबों रुपये मूल्य की कीमती सरकारी जमीन को सरकारी कब्जे में लेने की अपील की है। भूमाफिया स्वर्गीय मानिकचंद सुराणा के पुत्र जीतेन्द्र सुराणा, राजेंद्र सुराणा, और स्वर्गीय मानिकचंद सुराणा के घरेलू सहायक चंडीदान चारण के खिलाफ सरकारी जमीन और दोनों सरकारी सड़कों पर अतिक्रमण व खुर्द बुर्द करने पर सख्त कानूनी कार्रवाई करने की भी मांग की गई है। जनता का मानना है कि ओझाजी के बाग में सड़क बनने से जनता की सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा और यातायात सुचारू रूप से संचालित हो सकेगा। साथ ही, पर्यावरण भी स्वच्छ और अनुकूल बना रहेगा। इससे न केवल जनता को राहत मिलेगी, बल्कि टोंक रोड और गांधी पथ पर लगने वाले भारी जाम से भी मुक्ति मिल सकेगी।
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