- वेग को कंट्रोल करने के लिए लगाया वेलोसिटी मीटर
- '17 मिनट का खौफ'
- गणितीय रूप से दिलचप्स गणना
चंद्रयान-3 को लेकर भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया टकटकी लगाए बैठी है। लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) से युक्त लैंडर मॉड्यूल शाम 6.04 बजे जैसे ही चांद पर कदम रखेगा भारत एक नया इतिहास रच देगा। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान ने चंद्रयान की सुरक्षित लैंडिंग के लिए 80 प्रतिशत बदलाव किए हैं। पिछली बार से सबक लेते हुए इस बार बदलाव किए गए हैं। जानते हैं वो खास बदलाव क्या-क्या है-
TOP TEN – 23 अगस्त 2023 Morning News की ताजा खबरें
वेग को कंट्रोल करने के लिए लगाया वेलोसिटी मीटर
चंद्रयान-3 सुरक्षित लैंडिंग पर इसरो के पूर्व वैज्ञानिक वाईएस राजन ने बताया कि चंद्रयान-3 में कई चीजें शामिल की हैं। चंद्रयान-2 में केवल अल्टीमीटर था जो सिर्फ ऊंचाई देखता था। लेकिन इस बार एक वेलोसिटी मीटर भी साथ में लगाया है जो ऊंचाई के साथ-साथ वेग का भी पता लगाएगा और खुद को नियंत्रित कर सकेगा। इस वेलोसिटी मीटर को डॉप्लर कहा जाता है।
यह भी पढ़े: 'गंगा मैया की जय' पर पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी के बिगड़े बोल! कांग्रेस पार्टी को ऐसे लताड़ा
17 मिनट का खौफ
पिछली बार चंद्रयान की लैंडिंग की महत्वपूर्ण प्रक्रिया को इसरो ने 15 मिनट का आतंक बताया था। इस बार सॉफ्ट लैंडिंग की प्रोसेस को इसरो ने '17 मिनट का खौफ' कहा है। 2019 में चंद्रयान-2 लैंडिंग के समय लैंडर विक्रम में ब्रेक संबंधी सिस्टम में गड़बड़ होने के कारण चांद की सतह से टकरा गया था।
यह भी पढ़े: राजस्थान फतह करने को भाजपा ने बनाई रणनीति, 2 सितंबर को वसुंधरा यहां से भरेंगी हुकार
गणितीय रूप से दिलचप्स गणना
इसरो अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने लैंडिंग की खास प्रक्रिया के बारे में बताया कि सबसे महत्वपूर्ण काम इसकी दिलचस्प गणितीय गणना है। इसमें लैंडर के वेग को 30 किमी की ऊंचाई से अंतिम लैंडिंग तक कम करने की प्रक्रिया और अंतरिक्ष यान को क्षैतिज से लंबवत करने की क्षमता होगी। शुरुआत में इसकी स्पीड 1.68 किमी प्रति सेकंड होगी, लेकिन इस स्पीड पर विक्रम चांद की सतह पर क्षैतिज होगा। 90 डिग्री झुके हुए चंद्रयान को लंबवत करना होगा। इसी प्रक्रिया के दौरान पिछली बार सबसे अधिक परेशानी हुई थी।