जयपुर। आपने कभी ध्यान से देखा हो तो पता चलेगा मुस्लिम मौलवी अलग-अलग तरह की टोपी पहनते हैं. दरअसल, मुस्लिम मौलवियों की टोपी उनके इल्म पर निर्भर करती है. इसका सीधा सा मतलब ये है कि उन्होंने कितनी मज़हबी पढ़ाई की हुई है और मदरसों में कौन सी क्लास तक के छात्रों को पढ़ा सकते हैं. इतना ही नहीं बल्कि इससे यह भी पता चलता है कि कौन से पद के मौलवी को किस नाम से बुलाया जाता है. हालांकि, यह नियम सुन्नी और शिया समुदायों में अलग-अलग होते हैं.
1. इमाम और उसकी टोपी का रंग
इमाम आमतौर पर मस्जिद में जमात पढ़ाने वाले मौलाना को कहा जाता है. लेकिन सिर्फ सुन्नी समुदाय में होता है. मजहबी कार्यक्रमों के नेतृत्व के साथ ही कम्यूनिटी लीडर का काम भी कर सकते हैं. ये सफेद या किसी और रंग की गोल टोपी पहनते हैं. वहीं, शिया मस्जिद में नमाज़ पढ़ाने और मजहबी कार्यक्रमों का नेतृत्व भी करने वाले मौलवी को इमाम नहीं बल्कि मौलाना या मौलवी कहा जाता है और ये गोल टोपी पहनते हैं.
2. शिया समुदाय में 'इमाम' के मायने
शिया समुदाय में 'इमाम' के मायने अलग हैं. यहां इमाम का रोल इमामा के ज़रिए तय होता है. इमामा एक पद जैसा है. इसे वे मौलवी पहनते हैं जिन्होंने मज़हबी तालीम में डॉक्टरेट उपाधी ली हो. ये उन्हें भी मिलती है जो Ahl al-Bayt के सदस्य हो. 'अहल अल-बैयत' पैगंबर मोहम्मद के घराने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
3. सफेद और काले इमामे में अंतर
इमामा दो रंग का होता है. सफेद और काला. काला इमामा वे मौलवी पहनते हैं, जो पैगंबर मुहम्मद के बाद उनकी बेटी और दामाद के कुनबे की पीढ़ीयों (12 इमामों में से) से हैं. वहीं, सफेद इमामा वो पहनते हैं जिनका पैगंबर मुहम्मद के बाद उनकी बेटी और दामाद के कुनबे की पीढ़ींयों (12 इमामों में से) से नहीं हैं.
4. ये तालीम लेने वाला पहनता है इमामा
शिया समुदाय में इमामा इस्लामिक तालीम लेने वाले सिर्फ उन स्टूडेंट्स को दिया जाता है जो Howzah-Elmiyah एग्जाम पास करते है. Howza टर्म इस्लामिक तालीम में एक तरह की पढ़ाई/यूनिवर्सिटी के लिए इस्तेमाल की जाती है. होज़वा पढ़ने वाले स्टूडेंट्स अलग तरह के इस्लामिक इश्यूज पर पढ़ाई करते हैं.
5. उलेमा इसलिए पहनते हैं इमामा
शिया समुदाय के उलेमा ये भी मानते हैं कि इमामा पहनना पैगंबर मुहम्मद और 12 इमामों के पहनावे को फॉलो करना है. इमामा पहनने वाले शिया मौलवियों को शिया शेख़ भी कहा जाता है. इमामा नॉन-अरब, मुस्लिम मिडिल ईस्ट कंट्रीज में पहना जाता है.
6. डिप्लोमा के बाद अबा
टोपी के अलावा मौलवी कुर्तो के ऊपर अबा (लंबा श्रग-नुमा कपड़ा) जो पहनते हैं, वह भी फॉर्मल ड्रेस है. उसे भी एक हद तक पढ़ा लिखा व्यक्ति ही पहन सकता है. अबा परंपरागत रूप से मदरसा, यूनिवर्सिटी एक-दूसरे से जुड़े होते हैं. जो भी इन स्कूल्स से डिप्लोमा लेता है, वह अबा पहन सकता है.