चंद्रयान-3 की चांद के साउथ पोल पर सफलतापूर्वक लैंडिंग हुई। आज पूरी दुनिया में भारत सीना चौड़ा कर बोल रहा है। इतनी बड़ी सफलता के पीछे किसी एक शख्स का नहीं बल्कि इसरो में कार्यरत कई वैज्ञानिकों के दिन-रात की मेहनत है। चंद्रयान-3 की सक्सेफुल स्टोरी में राजस्थान का नाम भी शामिल है। डीडवाना की बेटी सुनीता खोखर ने भी चंद्रयान-3 की लैंडिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जानते हैं सुनीता खोखर की इस सफलता के पीछे की कहानी के बारे में-
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चंद्रयान-3 की स्पीड और हाइट के लिए सेंसर बनाने में खास भूमिका
चंद्रयान-3 में जिस सेंसर की मदद से गति और ऊंचाई के बारे में लगातार जानकारी मिल रही थी उस सेंसर को बनाने में सुनीता खोखर का विशेष योगदान रहा। सेंसर के माध्यम से ही चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई जा सकी। सेंसर के माध्यम से ही सारी एक्टिविटी को लेकर प्रोग्राम बनाए जा सके। डीडवाना की बेटी सुनीता खोखर ने चंद्रयान-3 का हिस्सा बनकर पूरे प्रदेश का मान बढ़ाया है। इसरो के वैज्ञानिकों ने सेंसर की मदद से समय-समय पर सारी सूचनाएं प्राप्त की और चांद पर जाने के बाद भी मिलती रहेगी।
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दूसरे प्रयास में इसरो में जाने में मिली सफलता
डीडवाना उपखंड के गांव डाकीपुरा की निवासी सुनीता खोखर का जन्म 20 जुलाई 1993 को हुआ। सुनीता साधारण परिवार में पली-बढ़ी और 8वीं तक की शिक्षा अपने ही गांव के सरकारी स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए बाहर गई। इंजीनियरिंग में अपनी पढ़ाई पूरी की। इसरो में जाने का सपना दूसरे प्रयास में पूरा हुआ। वहां जाने के बाद चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट से जुड़कर राजस्थानवासियों को गर्व महसूस कराया।