- वारिस की होने लगी खोज
- प्रिगोझिन महल सहित 2 बिलियन पाउंड संपत्ति
- पुतिन का शेफ माना जाता था प्रिगोझिन
- प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर कमाएं मिलियन डॉलर
मॉस्को। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबी रह चुके येवगेनी प्रिगोझिन की मौत के बाद कई तरह की चर्चा होने लगी। कुछ लोग इस बारे में अटकलें लगा रहे हैं कि प्रिगोझिन की मौत के पीछे का कारण क्या है। वहीं यह भी बातें की जाने लगी है कि अब उनकी संपत्ति का वारिस कौन होगा। प्रिगोझिन के पास इतनी दौलत है कि पुतिन भी उनके सामने कुछ नहीं। प्रिगोझिन की बढ़ती सक्रियता से लोगों को लगने लगा था कि पुतिन की ताकत पहले से कमजोर हो गई है।
यह भी पढ़े – वैगनर बॉस प्रिगोझिन की विमान हादसे में मौत, पुतिन के खिलाफ बगावत की मिली सजा?
वारिस की होने लगी खोज
ऐसे में अब सवाल उठते है कि येवगेनी प्रिगोझिन की मौत के बाद अब उनकी संपत्ति पर किसका हक होगा, उनका वारिस कौन है। इस बारे में खोज शुरू हो चुकी है। उनकी संपत्ति को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं।
प्रिगोझिन महल सहित 2 बिलियन पाउंड संपत्ति
दावा किया जा रहा है कि प्रिगोझिन अरबों डॉलर की संपत्ति छोड़कर गए हैं। रूस समेत कई देशों में उनके करोड़ों के बिजनेस हैं। लक्जरी यॉट और निजी विमान सहित कुल संपत्ति 1.5 से 2 बिलियन पाउंड से भी अधिक मानी जा रही है। इसके अलावा रूसी जांच एजेंसियों ने प्रिगोझिन के महल पर छापा मारा तब प्रिगोझिन के महल से सोना, चांदी के अलावा भारी मात्रा में हथियार और दूसरे कीमती सामान मिले थे। पिछले साल अकेले प्रिगोझिन और वैगनर ग्रुप को रूस से 1.6 बिलियन मूल्य के कॉन्ट्रैक्ट प्राप्त हुए थे।
यह भी पढ़े – TOP TEN – 24 अगस्त 2023 Morning News की ताजा खबरें
पुतिन का शेफ माना जाता था प्रिगोझिन
प्रिगोझिन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का करीबी और विश्वासपात्र माना जाता था। इसके अलावा प्रिगोझिन को पुतिन का शेफ भी कहा जाता था, क्योंकि वह कई रेस्टोरेंट और फूड कंपनियों का मालिक था। इन फूड कंपनियों से रूसी सेना को भी खाना पहुंचाया जाता था।
यह भी पढ़े – भारत का चंद्रयान 3 चांद पर उतरने में सफल, जानिए अब 14 दिन तक वहां क्या-क्या काम करेगा
प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर कमाएं मिलियन डॉलर
प्रिगोझिन ने दूसरे देशों के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर भी खूब पैसे कमाएं। खबरों के मुताबिक प्रिगोझिन से जुड़ी कंपनियों ने रूस के यूक्रेन पर आक्रमण से पहले चार वर्षों में उन देशों में प्राकृतिक संसाधनों से 250 मिलियन डॉलर कमाए थे। इतना ही नहीं वैगनर समूह उन देशों से हीरे, सोना, तेल और गैस लूटता है जहां वे काम करते हैं।