One State One Election: राजस्थान में जहां पंचायत चुनाव को लेकर सरकार और सरपंचों के बीच में बात बनती नजर नहीं आ रही है। अब सरपंच और चुनाव की तैयारी कर रहे प्रत्याशियों के लिए बुरी खबर निकलकर सामने आ रही है। दोस्तों प्रदेश की 7463 ग्राम पंचायतों में अब सरपंचों को मायुसी हाथ लग सकती है। क्योकि अब एक राज्य एक चुनाव का फैसला लगभग तय माना जा रहा है। क्योकि दिल्ली में सुबुगाहट सुशु हो गई है। तो चलिए जानते है कि आखिर अब इस मामले में क्या कुछ होने वाला है।
राजस्थान में टल सकते है पंचायत चुनाव
दरअसल एक देश एक चुनाव के बिल को कैबिनेट में मंजुरी मिल गई है। सूत्रों के मुताबिक इसी सत्र यह बिल पेश हो सकता है। यही वजह है कि अब राजस्थान में भी एक राज्य एक चुनाव जल्द लागू होने की चर्चा तेज हो गई है। और सरपंचों के चुनाव आगे खिसकने की चर्चा शुरु हो गई है। तो चलिए पहले बात करते है एक चुनाव बिल की। दरअसल एक देश एक चुनाव के बिले को विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति को भेजा जा सकता है. कैबिनेट एक देश एक चुनाव पर बनी रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट को स्वीकार कर चुकी है। सरकार चाहती है कि इस बिल पर आम राय बने। इसको लेकर जेपीसी सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से चर्चा करेगी। इसके साथ ही सभी राज्य विधानसभाओं के स्पीकरों को भी बुलाया जा सकता है। देश भर के प्रबुद्ध लोगों के साथ ही आम लोगों की राय भी ली जाएगी। एक देश एक चुनाव के फायदों। उसे करने के तरीकों पर विस्तार से बात होगी। सरकार को उम्मीद है कि इस बिल पर आम राय बनेगी।
एक राज्य एक चुनाव पर चर्चा तेज
मोदी सरकार इस बिल को लेकर लगातार सक्रिय रही है. सरकार ने सितंबर 2023 में इस महत्वाकांक्षी योजना पर आगे बढ़ने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में एक समिति का गठन किया था। कोविंद समिति ने अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले मार्च में सरकार को अपनी सिफारिश सौंपी थी। केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था. रिपोर्ट में 2 चरणों में चुनाव कराने की सिफारिश की गई थी। समिति ने पहले चरण के तहत लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की सिफारिश की है. जबकि दूसरे चरण में स्थानीय निकाय के लिए चुनाव कराए जाने की सिफारिश की गई है।
एक देश एक चुनाव बिल को मिली मंजूरी
ऐसे में अब राजस्थान की डबल इंजन की सरकार भी केंद्र की मोदी सरकार की देखा देखी ही काम करेगी। दिल्ली जो आदेश आएगा। भजनलाल सरकार आंख बंद करके उसको फॉलो करेगी। यही वजह है कि राजस्थान में एक राज्य एक चुनाव को लागू किया जा सकता है। ऐसे में जब भी चुनाव होंगे तो पहले चरण में विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराए जाएंगे और दूसरे चरण में 100 दिनों के अंदर स्थानीय निकायों के चुनाव हो सकते हैं. इन चुनावों के लिए चुनाव आयोग, लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकायों के लिए वोटर लिस्ट तैयार कर सकता है। इसके अलावा सुरक्षा बलों के साथ प्रशासनिक अफसरों, कर्मचारियों और मशीन के लिए एडवांस में योजना बनाने की सिफारिश की गई है।
हालांकि राजस्थान पंचायत चुनाव को लेकर अभी कोई अपडेट नहीं आया है। लेकिन एक देश एक चुनाव के बाद राजस्थान के पंचायत चुनाव को लेकर भी असमंजस की स्थिति हो गई है। हालांकि फिलहाल अब देखना होगा कि आगे क्या होता।