- इसरो की सफलता से हुए प्रभावित
- छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर
- रॉकेट इंजीनियरिंग
जयपुर।चंद्रयान को चांद पर पहुंचाने के बाद भारत और इसरो दोनों का ही लोहा सारी दुनिया मान रही है। ISRO भारतीय स्पेस एजेंसी ने जब से सफलतापूर्वक चांद पर चंद्रयान को उतार कई युवाओं को अंतरिक्ष में भविष्य तलाशने के सपनें दिए हैं। कानपुर विश्वविद्यालय भी इसी को लेकर नया वैल्यूएटेड कोर्स शुरू कर रहा है। जहां रॉकेट इंजीनियरिंग की एजुकेशन दी जाएगी। जहां उनकी मदद के लिए आईआईटी के विशेषज्ञ भी करेंगे।
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इसरो की सफलता से हुए प्रभावित
इसरो की तीन बार की कोशिशों के बाद चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान को उतारने में उसे सफलता हासिल हुई। जिससे दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान को उतारने वाला भारत पहला देश बना। इसके बाद से ही युवाओं में स्पेस साइंस की नाॅलेज के बारे में और जिज्ञासा जाग रही है।
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में छात्रों के रुझान को देखते हुए यह कोर्स शुरू किया गया है। जिन्हें चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद स्पेस साइंस में बहुत दिलचस्पी दिखाई जा रही थी। कानपुर विश्वविद्यालय में अगले सेमेस्टर से इस नए वैल्यूएडेड कोर्स को शुरू किया जाएगा।
राॅकेट कंस्ट्रक्शन के बारे में जानेंगे छात्र
इस नए वैल्यूएडेड कोर्स में छात्रों को रॉकेट के बारे में पढ़ाया जाएगा। जिसमें रॉकेट कंस्ट्रक्शन कैसे किया जाता है। इसका मेकैनिज्म कैसा होता है और यह कैसे काम करता है। इसी के साथ राॅकेट के बारे में सारी जानकारी कोर्स में दी जाएगी। यह कोर्स एक स्किल बेस्ड और एडवांस टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा। जिससे छात्रों को बहुत सहायता होगी।