जयपुर। कांग्रेस के गढ़ अमेठी से चुनाव हार कर केरल की वायनाड से संसद पहुंचे राहुल गांधी की सांसद अब खत्म हो चुकी है. सारे मोदी चोर वाली विवादित टिप्पणी के मामले राहुल गांधी को कोर्ट ने 2 साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही उनकी संसद सदस्यता भी खत्म हो गई. हालांकि, आपको जाकर हैरानी होगी राहुल गांधी ही अपने परिवार से संसद की सदस्यता खोने वाले पहले व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि इससे पहले उनकी फेमिली में 2 ऐसे इंसान भी हुए हैं जो अपनी सांसदी खो चुके हैं। तो आइए जानते हैं कि वो कौन हैं और कैसे उनकी सांसदी छीनी गई थी…
इंदिरा गांधी की गई थी संसद सदस्यता
आपको बता दें कि राहुल गांधी की दादी और भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की लोकसभा सदस्यता की भी संसद सदस्यता रद्द हो गई थी, हालांकि, यह घटना उनके लिए संजीवनी बन गई थी. यह किस्सा आपातकाल से जुड़ा था. हुआ ऐसा कि आपातकाल के बुरे दौर के बाद जब चुनाव हुए तो इंदिरा गांधी हार गई थी. इसके बाद 1977-78 का दौर बेहद नाटकीय रहा. 1978 को इंदिरा गांधी कर्नाटक के चिकमंगलूर से उपचुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची थीं.
गुजराती प्रधानमंत्री ने ही किया था बाहर
आपातकाल की वजह से विरोधी पहले से ही खेमा तैयार किए बैठे थे. लोकसभा में उनके पहुंचने के 18 नवंबर को उनके खिलाफ अपने कार्यकाल में सरकारी अफसरों का अपमान करने और पद के दुरुपयोग के मामले में खुद तत्कालीन पीएम मोरारजी देसाई ने प्रस्ताव पेश किया. प्रस्ताव पास हो गया. लोकसभा में 7 दिनों की बहस के बाद इंदिरा गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार समिति बनी, जिसे इंदिरा के खिलाफ पद के दुरुपयोग मामले सहित कई आरोपों पर जांच करके एक महीने में रिपोर्ट देनी थी.
विशेषाधिकार समिति ने लिया एक्शन
इसके बाद विशेषाधिकार समिति इस निष्कर्ष पर पहुंची कि इंदिरा के खिलाफ लगे आरोप सही हैं और उन्होंने विशेषाधिकारों का हनन करने के साथ ही सदन की अवमानना भी की. इस वजह से उन्हें संसद से निष्कासित किया जाता है और गिरफ्तार करके तिहाड़ भेजा जाता है. लेकिन इसके बाद जनता दल सरकार में खुद ही सामंजस्य नहीं रहा और 3 साल में ही सरकार गिर गई. इसके बाद इंदिरा गांधी 1980 में जबरदस्त समर्थन से दोबारा चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बनीं.
सोनिया की भी हो चुकी संसद सदस्यता रद्द
अब बात सोनिया गांधी के बारे में की जाए तो साल 2006 में संसद में लाभ के पद का मामला जबरदस्त तरीके से उठा था. भारत में यूपीए का शासन था और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इस आरोप से घिरी थीं. आपको बता दें कि सोनिया गांधी रायबरेली से सांसद थीं. इसके साथ ही वो यूपीए सरकार के समय गठित राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की चेयरमैन भी थीं. इसी को 'लाभ का पद' माना गया था. जिसकी वजह से सोनिया गांधी को लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद उन्हें दोबोरा रायबरेली से दोबारा चुनाव लड़ना पड़ा.