Glory Moment for India: हरियाणा के कलायत की बेटी पायल छाबड़ा (Payal Chhabra) ने इतिहास रच दिया है। वह सर्जन रहते हुए देश की पहली महिला पैरा कमांडो बन गई है। उन्होंने सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं में डॉक्टर रहते हुए प्रशिक्षित पैरा परीक्षा पास कर यह गौरव हासिल किया है। इससे पहले कोई भी महिला सर्जन ने यह उपलब्धि हासिल नहीं की थी। पायल छाबड़ा फिलहाल लेह लद्दाख के आर्मी अस्पताल में विशेषज्ञ सर्जन की सेवायें दे रही है।
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जनरल दलजीत सिंह है पायल के आदर्श
मेजर पायल छाबड़ा ने पैरा कमांडो (Para Commando) के लिए बेहद कठिन और जटिल प्रशिक्षण का सफलतापूर्वक सामना किया है। पैरा कमांडो बनने के लिए आगरा के एयरफोर्स ट्रेनिंग स्कूल में प्रशिक्षण लेना होता है। साथ ही इसके लिए उत्तम स्तर की शारीरिक और मानसिक फिटनेस का होना बेहद जरुरी है।
पायल छाबड़ा चिकित्सा सेवाओं (सेना) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल दलजीत सिंह (Lieutenant General Daljit Singh) को अपना आदर्श मानती है। पायल विश्व में दूसरे सबसे ऊंचे खरदूंगला मोटर बाईपास पर स्थित सेना अस्पताल में अपनी सेवायें शल्य चिकित्सक के तौर पर दे चुकी है।
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पैरा कमांडो बनने का सफर नहीं था आसान
पायल बताती है कि पैरा कमांडो बनने का सफर उनके लिए आसान नहीं था। प्रशिक्षण की शुरुआत सुबह तीन से चार बजे के बीच होती थी। अमूमन 20 से 65 किलोग्राम वेट (पिठू) लेकर 40 किलोमीटर तक दौड़ लगानी होती थी। इस तरह के कई जटिल टास्क को उन्होंने पूरा किया और आज परिणाम सामने है।
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