यूपी की सियासत का फेमस माफिया अतीक अहमद को आज गुजरात की साबरमती जेल से यूपी के प्रयागराज लाया जा रहा है। 28 मार्च को कोर्ट में अतीक को उमेश पाल अपहरण मामले में पेश किया जाना है। आज अतीक के साथ जो हो रहा है उसके बारे में तो पूरी दुनिया जानती है लेकिन हम आपको अतीक अहमद के जीवन की शुरुआत के कुछ ऐसे तथ्यों के बारे में बता रहे है जो शायद अब तक आपको नहीं पता होंगी। तो चलिए जानते हैं उन अनसुने फेक्ट के बारे में…
देश की राजनीति में कई ऐसा नेता है जिनका संबंध भी जुर्म की दुनिया से रहा है। लेकिन उन्होनें समय के साथ खुद को बदल लिया। अतीक अहमद उन सब में शामिल नहीं होते। अतीक राजनीति में आकर भी अपनी माफिया वाली छवि से बाहर नहीं निकल पाए।
17 साल की उम्र से मर्डर केस से हुई जुर्म की शुरुआत
अतीक अहमद पर सबसे पहले 1979 में हत्या का मुकदमा चला। उस समय उनकी उम्र केवल 17 साल की थी। अपनी जवानी की शुरुआत हत्या के इल्जाम के साथ हुई। इसके बाद तो उन पर इतने केस लगे कि अतीक ने पीछे मुड़कर देखना ही छोड़ दिया।
अतीक अहमद का जन्म 10 अगस्त 1962 को उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जनपद में हुआ था। पढ़ाई लिखाई से इनका कोई लगाव नहीं था। हाई स्कूल में फेल होने के बाद अतीक ने माफियागिरी शुरु कर दी। पूर्वांचल और इलाहाबाद में सरकारी ठेकेदारी, खनन और उगाही के मामलों में भी अतीक का नाम जुड़ गया।
अपराध की दुनिया में फेमस होने के बाद वो राजनीति में भी अपनी धाक जमाना चाहते थे इसलिए 1989 में पहली बार राजनीति में कदम रखा और इलाहाबाद (पश्चिमी) विधानसभा सीट से विधायक बने। इसके बाद लगातार चुनाव लड़े। कई बार जीते और कभी हारे।
इसी तरह राजनीति में भी अतीक ने अपनी दादागिरी को अपनाना शुरु कर दिया। जब 2004 में अतीक अहमद के सांसद बनने पर इलाहाबाद पश्चिम में उपचुनाव हुए तो उपचुनाव में जीत दर्ज कर पहली बार विधायक बने राजू पाल की अतीक और उनके भाई अशरफ ने कुछ महीने बाद 25 जनवरी, 2005 को दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी।