जोधपुर। राजस्थान में चुनावी हलचल तेज हो चुकी है। सभी पार्टियों ने धरातल पर चुनावी बिसात बिछानी शुरू कर दी है। जमीनी स्तर पर पकड़ मजबूत करने के लिए पार्टियों में बैठकों का दौर भी लागातार जारी है। राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी जोधपुर की पहचान इसका भीतरी शहर है। जोधपुर विधानसभा की राजनीति का इतिहास अपने आप में दिलचस्प है। कांग्रेस को बीते चार चुनावों में सिर्फ 2018 में ही यहा सफलता हासिल हुई है।
यह भी पढ़े: Women Reservation Bill: महिला आरक्षण बिल पर भड़के बेनीवाल, गहलोत-पायलट ने कहा, अब क्यों याद आया बिल
15 साल बाद मिली कांग्रेस का जीत
2003 के बाद 2013 तक भाजपा ने जीत दर्ज की। 2018 से पहले यह विधानसभा सीट 1998 में कांग्रेस के हिस्से में गई थी। अब ऐसे में 15 साल बाद मिली इस जीत को बरकरार रखना कांग्रेस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। वहीं भाजपा के लिए भी खोई हुई सीट पर फिर से कब्जा जमाना आसान नहीं होगा। मतदाताओं की बात करे तो यहा ब्राह्मण, महाजन-बनिया, अल्पसंख्यक तथा ओबीसे मतदाता है।
पूर्व मुख्यमंत्री बरकतुल्लाह खान तीन बार विधानसभा पहुंचे
इस सीट के इतिहास पर नजर डाले तो 1957 में यहा पूर्व महाराजा हनसवंत सिंह ने जीत हासिल की थी। वहीं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे बरकतुल्लाह खान यहा से तीन बार विधानसभा पहुंचे थे। तीसरी बार खान ने यहा से 1967 में जीत हासिल की थी। उसके बाद से अब तक कांग्रेस ने मात्र तीन बार ही यहा से जीत हासिल की है। भाजपा से पहले इस सीट पर जनसंघ और उसके बाद जनता पार्टी के पास यह सीट रही। कांग्रेस ने इस सीट पर शुरू से ही संघर्ष किया है। हर तीन चुनाव के बाद ही यहा कांग्रेस का जीत हासिल हुई है।
सीएम गहलोत ने 2018 में बदली रणनीति
कांग्रेस ने 1998 से 2013 तक इस सीट पर महाजन वर्ग का उम्मीदवार उतारा, वहीं भाजपा ने ब्राह्मण उम्मीदवार मैदान में उतारा, भाजपा ने रणनीति बदली और महाजन वर्ग को मैदान में उतारा जिसका फायदा भी भाजपा को मिला। सीएम अशोक गहलोत ने 2018 में चुनावी गणित का देखते हुए रणनीति बदली और मैदान में रावणा राजपूत समाज की मनीषा पंवार को मैदान में उतारा और जीत का परचम लहराया। अब देखना यह होगा की भाजपा इस बार क्या दांव चलती है।
यह भी पढ़े: Rajasthan Free Smartphone Scheme: फ्री स्मार्टफोन योजना बनी CM गहलोत के लिए टेंशन, HC ने मांगा जवाब
भ्रष्टाचार का बोलबाला- भंसाली
मौजूदा विधायक मनीषा पंवार ने कहा इस सीट पर लंबे सयम से भाजपा का कब्जा रहा है। हमने शहर के भीतर ध्यान दिया है। और चहुमुंखी विकास करवाया है। पर्यटन को बढ़ावा दिया है। वहीं 2018 में भाजपा के प्रत्याशी रहे अतुल भंसाली ने कहा सरकार ने दो ढ़ाई साल तो आपस में लड़ने में ही निकाल दिए। शहर में जो भी काम करवाए जा रहे है। वह समुदाय विशेष के लिए किए जा रहे है। गहलोत सरकार के कारण शहर का विकास अधुरा है। भ्रष्टाचार का बोलबाला है।
जातिगत समिकरण
जोधपुर विधानसभा खेत्र में 198172 मतदाता है। जिसमें से 100449 पुरूष तथा 97716 महिलाएं तथा 8 ट्रांसजेंडर है। अगर जातिगत समीकरण की बात की जाए तो 38 हजार महाजन, 32 हजार अल्पसंख्यक, 21 हजार रावणा राजपूत, 15 हजार कुम्हार, ब्राह्मण समाज की बात की जाए तो 18 हजार के साथ ही अन्य जातियां भी शामिल है।
2018 में कांग्रेस को मिली जीत
2003 में भाजपा के सूर्यकांता व्यास ने कांग्रेस कें जुगल काबरा को हरा कर यहा जीत का परचम लहराया था। 2008 में 18 उम्मीदवार मैदान में उतरे इस चुनाव में भाजपा के भंसाली ने भाजपा को जीत दिलाई। 2013 में भाजपा ने वयोवृद्ध कैलाश भंसाली को फिर से मैदान में उतारा इस बार कांग्रेस कें सुपारस भंडारी मैदान में थे। इस चुनाव में भंसाली ने फिर से जीत हासिल की। 2018 में कांग्रेस ने रणनीति बदली और रावणा राजपूत समाज की मनीषा पर दांव खेला। वहीं भाजपा ने कैलाश भंसाली के भतीजे अतुल भंसाली को मैदान में उतारा इस चुनाव में कांग्रेस के सर पर जीत का सहरा बंधा।