जयपुर। बीजेपी से टिकट फाइनल होते ही कई सीटों पर माहौल तनावपूर्ण बरकरार है जिनके टिकट कटे, उनके जज्बात बदल गए। टिकट न मिलने से गुस्साए दावेदारों ने मोर्चे खोल दिए हैं। BJP-कांग्रेस में जिन्हें भाव नहीं मिला, वे बसपा-सपा और आम आदमी पार्टी (आप) की तरफ देख रहे हैं। कई नेताओं ने अपनी पार्टी छोड़ दी और निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। पार्टियों को चिंता है कि बागी उनका खेल बिगाड़ सकते हैं। जयपुर शहर की झोटवाड़ा विधानसभा सीट पर भी कुछ ऐसे ही हाल है।
कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ की मुश्किलें
भाजपा से टिकट की दावेदारी करने वाले आशु सिंह सुरपुरा ने चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। उसके बाद अब कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ की मुश्किलें बढ सकती है। सुरपुरा लगातार भाजपा में सक्रिय है, ऐसे में उन्होंने बीजेपी से टिकट की दावेदारी पेश की। उन्हें विश्वास था कि बीजेपी उन्हें टिकट जरूर देगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पार्टी ने जयपुर ग्रामीण से सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को टिकट दिया। राठौड़ को टिकट देते ही सुरपुरा के अरमानों पर पानी फिर गया। वे इसे सहन नहीं कर पाए और पूरे 10 साल की लगातार मेहनत के बाद अब सुरपुरा ने बड़ी मजबूती के साथ चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया।
सबसे बड़ी विधानसभा सीट झोटवाड़ा
राजस्थान की सबसे बड़ी विधानसभा सीट झोटवाड़ा है जहां 4 लाख से ज्यादा मतदाता हैं। जातीय समीकरण की बात करें तो झोटवाड़ा में राजपूत, जाट और यादव समाज के लोगों ज्यादा संख्या में है। बीजेपी द्वारा राज्यवर्धन सिंह को चुनाव मैदान में उतारने से राजपूत समाज के वोटों का बंटवारा होगा। हजारों की संख्या में सुरपुरा के समर्थक राज्यवर्धन सिंह को टिकट दिए जाने के खिलाफ हैं। ऐसे कांग्रेस अगर गैर राजपूत को टिकट देती है तो राज्यवर्धन सिंह को बड़ा नुकसान होना तय है। चूंकि सुरपुरा की फैन फोलोविंग काफी ज्यादा है। लिहाजा वे कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं।
मजबूत दावेदार सुरपुरा
उन्होंने कहा कि पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो क्या हुआ। वोट तो जनता को देना है। लोकतंत्र में जनता जनार्दन सब कुछ है। जनता से बड़ी कोई पार्टी नहीं होती। झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में एक सभा में हजारों की संख्या में समर्थकों ने सुरपुरा को चुनाव लड़ने की हुकार के बाद वे अब फॉम में नजर आ रहे है वे इस सीट से मजबूत दावेदार बताए जा रहे है आशु सिंह सुरपुरा ने वर्ष 2013 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। उन दिनों उन्हें 18000 से ज्यादा वोट मिले। पहली बार में ही एक नौजवान युवा को इतना समर्थन मिलने के बाद सुरपुरा ने समाज सेवा में निरंतर जुटे रहना शुरू कर दिया। वर्ष 2018 में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा और जनता के बीच हमेशा सक्रिय रहे।
पिछले 14 साल से समाजसेवा में सक्रिय
सुरपुरा पिछले 14 साल से समाजसेवा में सक्रिय हैं लेकिन पिछले 10 साल से वे एक भावी प्रतिनिधि के रूप में लोगों के बीच रहे। कोरोना काल में जरूरतमंद लोगों की सेवा करने से लेकर रोजगार और गांव में लम्पी कहर में नि:शुल्क एंबुलेंस सेवा के जरिए सुरपुरा के कई सेवाकार्य से उन्होंने लोगों के दिलों में जगह बनाई है ऐसे में सुरपुरा के समाने बीजेपी से राज्यवर्धन सिंह का मुकाबला देखना दिलचस्प होगा हालांकि सुरपुरा ये भी कहते हुए नजर आ रहे है कि झोटवाडा से वे चुनाव जीतने के बाद राज्यवर्धन के साथ मिलकर काम करेगें।