ABVP यानि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने पहली बार चुनाव में एक मुस्लिम लड़की को उतारा है। यह चुनाव हैदराबाद यूनिवर्सिटी का छात्र संघ चुनाव है। यहां पर एक मुस्लिम महिला उम्मीदवार शेख आयशा को मैदान में उतारा है। आयशा का मुकाबला SFI-ASA-TSF गठबंधन के मोहम्मद अतीक अहमद के साथ है। यह केंद्रीय विश्वविद्यालय में संघ के शीर्ष पद हेतु 2 अल्पसंख्यक उम्मीदवारों के बीच सीधा और पहला मुकाबला है।
आपको बता दें कि विशाखापत्तनम की शेख आयशा केमिस्ट्री में पीएचडी कर रही हैं। वहीं, अहमद पीएचडी छात्र हैं और हैदराबाद के ही निवासी हैं। आपको बता दें कि प्रज्वल गायकवाड़ निवर्तमान अध्यक्ष अंबेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन (ASA) के नेतृत्व वाले गठबंधन से थे। इसमें SFI और TSF भी भागीदार थे। SFI सीपीएम की छात्र इकाई स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया है और TSF ट्राइबल स्टूडेंट्स फेडरेशन है। 24 वर्षीय आयशा 2019 से ABVP के साथ हैं। उन्होंने कहा कि संगठन हमेशा ‘अल्पसंख्यक समर्थक’ रहा है।
आयशा ने अपने प्रतिद्वंद्वियों के इस दावे को खारिज किया कि ABVP ने उन्हें केवल इसलिए चुना है ताकि यह संदेश दिया जा सके कि यह सगंठन अल्पसंख्यक विरोधी नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ भी हो ABVP अल्पसंख्यक समर्थक और भारत समर्थक है। वो उन सभी अल्पसंख्यकों का समर्थन करते हैं जो राष्ट्र का समर्थन करते हैं। जो लोग पहले राष्ट्र के बारे में सोचते हैं मैं तब से इसका हिस्सा हूं। आयशा ने कहा कि जब मैं एपी में केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में एमएससी कर रहा थी। मैं तब राज्य कार्यकारिणी सदस्य थीं, जिससे पता चलता है कि वे नेतृत्व की भूमिकाओं में मुस्लिम महिलाओं का समर्थन करते हैं।
आयशा ने यह भी कहा कि चुनाव जीतने पर उनका मुख्य काम यह सुनिश्चित करना होगा कि हैदराबाद यूनिवर्सिटी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को अक्षरश: लागू किया जाए। वो चाहती हैं कि कैंपस में एक 'सामाजिक समरसता' (सामाजिक सद्भाव) शैक्षणिक केंद्र की स्थापना की सुविधा मिले। वहीं, दूसरी तरफ SFI के नेतृत्व वाले गठबंधन से उनके प्रतिद्वंद्वी आयशा के तर्क को खारिज करते हैं। उन्होंने कहा कि आयशा का चयन 'प्रतिनिधित्व की राजनीति' के अलावा कुछ नहीं था अतीक का कहना है कि एबीवीपी हमेशा ऐसा ही करती है।
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