जयपुर। अब भारत की अर्थव्यवस्था को पंख लगने वाले हैं क्योंकि अब देश में Logistics Service Cost की महंगाई दर तय की जा रही है। इसके लिए भारत सरकार की तरफ से लक्षित कार्यान्वयन किया जा रहा है। अब Total Logistics Cost का अनुमान लगाने के लिए सरकार की तरफ से इंडस्ट्री के लोगों और विदेशी विशेषज्ञों से भी सलाह ली जा रही है। इसके लिए कुल 18 सदस्यों की टीम गठित की गई है लॉजिस्टिक कॉस्ट के लिए फार्मूला तैयार कर रही है।
भारत में बिछ रहा रेलवे व सड़कों का जाल
देश की अर्थव्यवस्था को पंख लगाने के लिए भारत सरकार देश में सरकार सड़कों का जाल फैला रही है। इसके साथ ही रेलवे में निवेश काफी बढ़ चुका है। केंद्र सरकार के अनुसार इससे सामान लाने ले जाने का लागत यानि Total Logistics Cost में कमी आएगी। सरकार अब एक ऐसा फॉर्मूला तैयार कर रही है जिससे आपको यह पता चल जाएगा कि लागत में कमी आई है या इसमें बढ़ोतरी हुई है। इसके लिए डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) के अनुसार इस साल के अंत तक भारत की लॉजिस्टिक्स कॉस्ट का अनुमान आ सकता है। क्योंकि DPIIT में विशेष सचिव सुमिता चावला ने कहा है कि लॉजिस्टिक्स कॉस्ट के अनुमान के आकलन का काम प्रगति पर है। वहीं, अब अक्टूबर तक बेसलाइन एस्टिमेट की हो सकती है।
India Logistics Area का एक बड़ा हिस्सा असंगठित
सुमिता डावरा ने कहा है कि India के Logistics Area का एक बड़ा हिस्सा असंगठित है। इसके लिए उचित प्रोजेक्शन और सटीक अनुमान लगाना काफी कठिन है। इसी वजह से सरकार अपने अनुमान को और अच्छा करने के प्रयास कर रही है।
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Logistics Cost तुलना करने में सहायता
आपको बता दें कि सामान को तेजी के साथ और उचित तरीके से लाने ले जाने से Trade को सुविधाजनक बनाने और ट्रेडर्स की Competitive करने में काफी मदद मिलती है। Logistics Cost का एक बेसलाइन अनुमान DPIIT को यह मालूम करने में सहायता करता कि कॉस्ट में कमी आ रही या बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा यह भी मालूम हो सकेगा कि National Logistic Policy लागत को कम करने में कैसे सहायता कर रही है।
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कठिन है Logistics Cost का अनुमान लगाना
भारत में अभी लॉजिस्टिक कॉस्ट का सटीक अनुमान लगाना कठिन है। इस हेतु बेसलाइन से शुरुआत की जाती है। प्रत्येक वर्ष इसकी एक्यूरेसी में सुधार करना होता है। DPIIT अधिकारियों के अनुसार कोई भी देश अपनी लॉजिस्टिक कॉस्ट का सटीक अनुमान नहीं लगा सकता है। क्योंकि ऐसी कोई पद्धति ही नहीं है जिसे मानकर सटीक अनुमान लगा सके। DPIIT ने World Bank के साथ अपनी methodology शेयर की है जिसको विश्व बैंक ने स्वीकार किया है। DPIIT ने ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट, वेयरहाउसिंग कॉस्ट और सहायक परिवहन की एक्टिविटीज की लागत के लिए Ministry of Statistics and Policy Implementation (MoSPI) के डेटा का यूज किया है। आपको बता दें कि लॉजिस्टिक कॉस्ट का पता लगाने के लिए मार्च 2023 में टास्क फोर्स का गठन किया गया था। उसी वक्त समय-समय पर लॉजिस्टिक कॉस्ट गणना के लिए एक रूपरेखा तैयार की गई थी।