डा. उरुक्रम शर्मा
निलंबित सांसद कल्याण बनर्जी का उपराष्ट्रपति की मिमिक्री करना और कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं निलंबित सांसद राहुल गांधी का मिमिक्री का वीडियो बनाने का मामला तूल पकड़ गया। इससे ना केवल कांग्रेस को जबरदस्त नुकसान होने का अंदेशा है, बल्कि इंडिया गठबंधन को भी भारी खमियाजा भुगतना पड़ सकता है। हाल ही राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में जिस तरह से कांग्रेस का पूरी ताकत लगाने के बाद भी सूपड़ा साफ हो गया, ठीक वैसे ही परिणाम कहीं कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में देखने को ना मिल जाए। सवाल यह है कि क्या सांसद का इस तरह से संवैधानिक पद पर बैठे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड का मजाक बनाना संसदीय परंपरा का अपमान नहीं है? देश के इतने बड़े पद पर बैठे व्यक्ति का मजाक क्या सामान्य व्यक्ति की तरह से उड़ाया जा सकता है? क्या उसका अपमान करना देश के गौरवशाली लोकतंत्र का अपमान नहीं है? अभिव्यक्ति का आजादी का क्या यह मतलब है?
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हालांकि विपक्षी सांसदों का यह कृत्य अब राजनीति को छू गया है और इसके कितने गंभीर परिणाम होंगे, यह तो लोकसभा चुनाव में स्पष्ट हो ही जाएगा। उपराष्ट्रपति के अपमान को देश के संविधान और लोकतंत्र के अपमान से जोड़ते हुए एनडीए गठबंधन ने राज्यसभा में एक घंटे तक खड़े होकर उनके कृत्य का विरोध किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तो बाकायदा उन्हें फोन करके कहा कि वो तो इस तरह का अपमान 20 साल से झेल रहे हैं। राष्ट्रपति द्रोपद्री मुर्मु ने भी इसे असंसदीय बताते हुए निंदा की है। वैसे देश की लोकसभा में विपक्षी सांसद द्रोपद्री मुर्मु का भी इसी तरह अपमान कर चुके हैं? चूंकि धनखड जाट व किसान कम्युनिटी से आते हैं तो अपने नेता का अपमान होने पर जाट व किसान कम्युनिटी में जबरदस्त आक्रोष व्याप्त हो गया। बाकायदा उन्होंने ऐलान कर दिया कि जब तक वीडियो बनाने वाले राहुल गांधी और मिमिक्री करने वाले कल्याण बनर्जी सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांग लेते हैं, तब तक यह कम्युनिटी चुप बैठने वाली नहीं है। लोकसभा चुनाव में पूरा हिसाब ले लिया जाएगा।
जाट व किसान कम्युनिटी के इस ऐलान से कांग्रेस समेत विपक्षी दलों की हवा सरकने लगी है। राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, उत्तरप्रदेश समेत कई राज्य ऐसे हैं, जहां जाट सीटों का बोलबाला रहता है। जाट नाराज तो केन्द्र की सत्ता से कोई भी पार्टी दूर हो सकती है। अब समस्या यह है कि छोटा जा मजाक इतना खतरनाक रूप धारण कर लेगा, इसका तो किसी ने सोचा भी नहीं था। राहुल गांधी ने भी कल्पना नहीं की होगी। राहुल गांधी की कांग्रेस को हाल ही तीन राज्यों में जिस तरह का झटका मिला है, उससे ही उभर नहीं पा रहे हैं, दूसरा वीडियो बनाकर पार्टी के लिए नया संकट और खड़ा कर दिया। मुश्किल यह है कि सार्वजनिक रूप से माफी मांगी तो जबरदस्त किरकिरी होगी। लोग उन्हें परिपक्व नेता के रूप में फिर नकार देंगे। माफी मांगी तो सदा के लिए उन पर टैग लग जाएगा। यानि माफी मांगी तो मरे, ना मांगी तो और मरे वाली स्थिति पैदा हो गई।
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प्रश्न यह है कि इस बचकाना हरकत के लिए सलाह किसने दी? उस समय किसी वरिष्ठ ने रोका क्यों नहीं? क्यों वरिष्ठ नेता भी उस समय मूकदर्शक बनकर तालियां पीटते रहे? क्या कांग्रेस के किसी वरिष्ठ नेता ने राहुल गांधी को वीडियो बनाने से नहीं रोका? क्या जरूरत थी उस वीडियो को राहुल गांधी ने अधिकृत एक्स हैंडलर पर डालकर मुसीबत को गले लगाने की? अब जाट महापंचायत, एनडीए के सदस्यों ने इस मामले तो तुरंत कनवर्ट कर दिया, इसकी तो कल्पना भी नहीं की होगी विपक्ष ने।
इंडिया गठबंधन ने हाल ही मीटिंग में नरेन्द्र मोदी और भाजपा पर सीधे प्रहार करने के स्थान पर जनता को अपना विजन बताने का तय किया। यह विजन कागज पर तैयार होता, उससे पहले ही सारा बंटाधार हो गया। उत्तरप्रदेश में सपा प्रमुख अखिलेश यादव कैसे इससे बच पाएंगे, जबकि पूर्वी उत्तरप्रदेश की लगभग सभी सीटें जाट बहुल है। यही हाल दिल्ली और हरियाणा का है। राजस्थान की लगभग आधी सीटों पर तो जाट हार जीत में अहम भूमिका निभाते हैं। जगदीप धनखड राजस्थान से ताल्लुक रखते हैं और अभी तक कांग्रेस की राज्य इकाई व पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इसे लेकर मुंह बंद कर रखा है। जबकि राजस्थान की भाजपा व जाट-किसान कम्युनिटी इसे सीधे तौर पर राजस्थान का अपमान भी बता रही है।
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विपक्ष लाख चाहकर भी डेमेज कंट्रोल कर ले, लेकिन भाजपा इसी मुद्दे पर सीधे तौर पर इन्हें क्लीन बोल्ड करने की नीति पर काम करेगी। नरेन्द्र मोदी के इस मामले में तुरंत अपना पक्ष रखकर विपक्ष के लिए आफत खड़ी कर दी। भाजपा ने इस वीडियो को अपने अधिकृत सोशल मीडिया पर डालकर पूरी तरह से घेरने का काम कर डाला। इसी बीच जाट नेताओं ने साफ तौर पर कहा कि हम सात पीढ़ी तक भी अपमान नहीं भूलते हैं, इसका पूरा हिसाब चुनाव में ले ही लिया जाएगा। वैसे सोनिया गांधी भी तीन प्रमुख हिन्दी भाषी राज्यों में कांग्रेस के सफाया होने के बाद अब तक सहज नहीं हो पा रही है। कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में उन्होंने साफ तौर पर कहा कि समय कठिन और चुनौतीभरा है, लेकिन धैर्य के साथ आगे बढ़कर अपनी नीतियों पर चलकर सफलता जरूर मिलेगी। हालांकि सोनिया गांधी ने राहुल गाधी के इस कदम को लेकर फिलहाल चुप्पी साध रखी है।
अंदरखाने कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियों के पास इससे बचने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है। वैसे मिमिक्री करने वाले तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने इस मसले पर माफी मांगने से साफ इनकार कर दिया है। उन्होंने यह जरूर कहा कि उनको इरादा किसी को ठेस पहुंचाने का नहीं था, मिमिक्री तो एक कला है। बस, इतना सा कहकर वो अपना पल्ला नहीं झाड सकते हैं। जाट व किसान कम्युनिटी के सात जन्मों तक अपमान नहीं भूलने की बात के कई गहरे मायने हैं, जिसका खुलासा तो लोकसभा चुनाव परिणाम में सामने आएगा ही।