Ramlala Surya Tilak Benefits: लगभग 500 वर्ष बाद अयोध्या में पहली बार रामनवमी इतने अधिक भव्य तरीके से मनाई जाएगी। रामनवमी पर सूर्यदेव की किरणें रामलला मंदिर के गर्भगृह में स्थापित भगवान राम की प्रतिमा का का सूर्यतिलक करेंगी। इसके लिए वैज्ञानिकों की एक टीम कुछ विशेष यंत्रों का प्रयोग कर रही है जिनके माध्यम से दोपहर में सूर्यदेव की किरणें भगवान राम के ललाट पर तिलक की तरह चमकेंगी। यदि आप भी चाहें तो इसे अपने घर या स्थानीय मंदिर में भी कर पाएंगे।
हिंदू शास्त्रों में ललाट पर तिलक लगाने की विशेष महिमा मानी गई है। यहां अनेकों संप्रदाय हैं जिनके अनुयायी अपनी गुरु परंपरा से अलग-अलग प्रकार के तिलक धारण करते हैं। इसी प्रकार देवता के ललाट पर भी तिलक लगाने का विशेष प्रावधान बताया गया है। माना जाता है कि इन नियमों के पालन से देव शक्तियां प्रसन्न होती हैं और दुर्भाग्य का नाश कर सौभाग्य तथा सुख प्रदान करती हैं।
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घरों में चल और अचल दो प्रकार की देव प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं। इनमें अचल प्रतिमा को घर में मंदिर बना कर स्थाई रूप से स्थापित किया जाता है, अर्थात् वे जिस भी स्थान पर विराजती हैं, वहां से हटती नहीं है। ऐसी प्रतिमाओं का सूर्य तिलक करने के लिए आपको कुछ मेहनत करनी पड़ सकती है परन्तु चल प्रतिमा (अर्थात् जिन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है) के लिए आपको ज्यादा परिश्रम नहीं करना होगा।
अचल प्रतिमा के लिए आपको किसी अच्छे आर्किटेक्ट या इंटीरियर डिजाईनर की सहायता लेनी होगी। वह कमरे की दीवारों में इस तरह के परिवर्तन करेगा कि सूर्य की किरणें एक निश्चित समय पर देव प्रतिमाओं का अभिषेक करें। इसके लिए उन्हें लेंस जैसे कुछ उपकरणों की भी जरूरत हो सकती है। चल प्रतिमाओं के लिए आपको एक छोटा मंदिर बनवाना होगा जिसमें देवता विराजमान होंगे। इस मंदिर का डिजाईन ही इस तरह बनवाना होगा कि जब भी उसे खुले में रखें तो सूर्य की किरणें स्वतः ही देव प्रतिमा के चरण अथवा उनके ललाट पर पड़े। इस प्रकार आप भी घर पर अपने मंदिर में विराजमान देव प्रतिमाओं का सूर्याभिषेक करवा सकते हैं।
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शास्त्रों में देव प्रतिमाओं का अभिषेक करने के कई लाभ बताए गए हैं। इससे देवता प्रसन्न होते हैं और भक्तों के समस्त मनोरथ तो पूरे करते ही हैं, साथ ही जहां कहीं भी ऐसा होता हैं, वहां पर किसी भी प्रकार की नेगेटिव शक्ति या भूत-प्रेत आदि नहीं आ पाते। उस स्थान पर दैवीय ऊर्जा प्रबल होने लगती है जिससे सकारात्मक ऊर्जा आती है और बिगड़े हुए काम भी बनने लगते हैं।
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