Jume ki Dua : इस्लाम में जुम्मे के दिन को बहुत महत्व दिया जाता है। शुक्रवार को सप्ताह के सातों दिनों का सरदार कहा जाता है। जुम्मे के दिन नबी ए पाक पर दरूद शरीफ पढ़ने से तमाम गुनाह माफ हो जाते हैं। हम आपको एक ऐसी दुआ (Jume ki Dua) बता रहे है जिससे आपके 80 साल के गुनाह फौरन माफ हो जाएंगे। एक हदीस में ये दुरूद शरीफ आया है कि जुमा के दिन बाद नमाज़ असर अपनी जगह से उठने से पहले इस दुरूद शरीफ को 80 मर्तबा पढ़ने से 80 साल के गुनाह मुआफ हो जाते हैं। तो चलिए हम आपको वो दुरूद शरीफ हिंदी में बता देते हैं। इसे औरों तक जरूर पहुंचाएँ।
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जुमे की खास दुआ (Jume ki Dua)
अल्लाहुम्म सल्लि अला मुहम्मदीन निन नबीयिल उम्मियि वआला आलिही वसल्लम तस्लीमा
“Allahumma Salli Ala Muhammadin Nin Nabiyyil Ummiyyi Wa’ala Aalihi Wasallim Taslima”
O Allah bless Muhammad, the unlettered Prophet, and his family and grant them best of peace.
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ये अमल कब करना है ? (80 years Durood Juma)
जुमे के दिन ये अमल आपको अस्र की नमाज के बाद करना है। किसी से बात नहीं करनी है। और 80 बार ये दुरूद शरीफ (80 years Durood Juma) पढ़ना है। दिल में नीयत रहे कि अल्लाह हमें देख रहा है। तभी दुआ आसमानों को चीरती हुई अर्शे इलाही तक पहुंच पाएगी। कितना आसान अमल (Jume ki Dua) है कि महज 15 मिनट में 80 साल के गुनाह माफ हो सकते हैं। जरूरत है तो बस सच्चे दिल से इस अमल को करने वाले की। अल्लाह हम सबको ये अमल करने की तौफीक़ नसीब अता करें।
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दुरूद शरीफ क्या होता है ? (Salawat in Hindi)
इस्लाम में जो दुआ अपने पैगंबर नबी या रसूल के लिए मांगी जाती हैं, उसे दुरूद शरीफ या सलवत (Salawat) कहा जाता है। सीधी बात करे तो आप अपने नबी के लिए दुआ करते हैं। दुरूद शरीफ पढ़ने के बहुत फायदे हैं। लेकिन खास जुमे के दिन ये दुरूद शरीफ अगर आप शाम चार बजे की नमाजे अस्र के बाद पढ़ें तो बेहतर होगा। दुरूद शरीफ पढ़ने वाला कभी भी मायूस नहीं होता है। अल्लाह की रहमत उसे हर पल नवाज़ती रहती है। तो चलिए इस बात पर एक बार आका ए नामदार ताजदारे मदीना की बारगाह में दुरूद शरीफ का नज़राना पेश कर दे।