Jyotish Ke Upay: अक्सर हमें छोटी-मोटी बीमारियां हो जाती हैं। इन बीमारियों के पीछे कई कारण हो सकते हैं। परन्तु यदि सनातन धर्म की परंपराओं की बात की जाए तो सभी रोगों के पीछे दैहिक, दैविक और भौतिक कारण बताए गए हैं। जानिए इनके बारे में
दैहिक कारण अर्थात जब देह या शरीर के लिए आवश्यक सावधानियों का ध्यान नहीं रखते हैं और रोगी होते हैं तो उस कारण को दैहिक कारण कहा जाता है। इसी प्रकार जब संत, देवी-देवता या अन्य किसी प्रकार की भूत-बाधा के कारण रोगग्रस्त होते हैं तो उसे दैविक कारण कहा जाता है। वायरस, इंफेक्शन या मौसम की वजह से रोग होने पर उसे भौतिक कारण कहा जाता है।
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वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज के अनुसार हमारे जीवन में अच्छी या बुरी जो भी चीजें होती हैं, उन सबका कारण हमारा प्रारब्ध ही होता है। प्रारब्ध, अर्थात् हमारे पूर्वजन्मों में तथा इस जन्म में किए गए कर्म। इन्हीं की वजह से हमें सुख या दुख मिलते हैं। इन्हीं से हमें रोग होते हैं, इन्हीं की वजह से सुख प्राप्त होता है।
प्रेमानंद महाराज के अनुसार यदि व्यक्ति संयमित जीवन जिएं तथा निरंतर अच्छे कर्म करता हुआ ईश्वर भक्ति में लगा रहे तो उसके सभी दुख दूर हो सकते हैं। यह एकमात्र ऐसा उपाय है जिससे बड़े से बड़ा असाध्य रोग भी पलक झपकते दूर हो सकता है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष की पारंपरिक मान्यताओं तथा शास्त्रों से ली गई है एवं पाठकों की सूचना मात्र के लिए दी जा रही है। Morning News India इसकी पुष्टि नहीं करता है। यहां दिए गए उपायों अथवा सुझावों को आजमाने से पहले किसी एक्सपर्ट की राय अवश्य लें।
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