Mohini Ekadashi Muhurat & Upay: वैदिक ज्योतिष के अनुसार इस बार 19 मई को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी आ रही है। इस एकादशी को मोहिनी एकादशी भी कहा जाता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार धारण कर राक्षसों को अमृतपान करने से रोका था। इसलिए इस एकादशी का विशेष महत्व है।
क्या कथा है मोहिनी एकादशी की
हिंदू पौराणिक कथाओं में समुद्र मंथन की कथा बताई गई है। प्राचीन समय में देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था जिसमें सबसे पहले कालकूट नाम का महाप्रलयंकर विष निकला था। इस विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया। विष के बाद इसमें कई अमूल्य रत्न निकलें जिन्हें देवताओं और दानवों में बांटा गया। अंत में अमृत निकला।
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अमृत पीने से अमरता और अतुलनीय शक्ति प्राप्त होती है। यही कारण है कि देवता और दानव दोनों ही अमृत का पान करना चाहते थे। यदि दानव ऐसा कर लेते तो वे सदा के लिए अमर हो जाते और संसार में त्राहि मचा देते। ऐसे में भगवान विष्णु ने मोहिनी नामक एक सुंदर अप्सरा का रूप धारण किया। उन्होंने चतुराई से देवताओं को अमृत पान कराया और राक्षसों को इससे वंचित कर दिया। माना जाता है कि उनका यह अवतार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही हुआ था। इसीलिए इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है।
मोहिनी एकादशी पर बनें ये शुभ मुहूर्त
इस बार मोहिनी एकादशी पर द्विपुष्कर योग, सर्वार्थ सिद्धि योग एवं अमृत सिद्धि योग सहित कई शुभ योग बन रहे हैं जो सभी शुभ कार्यों के लिए अतिउत्तम बताए गए हैं। इनके साथ ही एकादशी पर रात्रि 8.33 बजे से 10.20 बजे तक अमृतकाल योग और दोपहर 11.56 बजे से 12.51 बजे तक अभिजित मुहूर्त भी बन रहे हैं। ये सभी योग किसी भी नए मांगलिक कार्य को आरंभ करने के लिए सर्वोत्तम माने गए हैं। आप भी इन मुहूर्तों में भगवान की पूजा कर सकते हैं।
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मोहिनी एकादशी पर इन उपायों से बनेंगे बिगड़े काम
ज्योतिष शास्त्र में कई ऐसे उपाय बताए गए हैं जिन्हें एकादशी पर किया जाए तो जीवन में आने वाले सभी कष्टों से मुक्ति मिल सकती है। इस बार एकादशी रविवार को आने के कारण सूर्य की उपासना के लिए भी उत्तम अवसर बन रहा है। जानिए ऐसे ही कुछ उपायों के बारे में
- यदि ऐसे स्थान पर पशु-पक्षियों के लिए पानी का प्रबंध कर दें जहां वे छाया में बैठ कर पानी पी सकें। यह अकेला उपाय आपके जीवन में आने वाले सभी कष्टों को बिना मेहनत के ही समाप्त कर देगा।
- एकादशी का व्रत करते हुए भगवान श्रीहरि और मां लक्ष्मी की पूजा करें। इससे जीवन में आ रहे दुख और दुर्भाग्य का नाश होकर शक्ति और सामर्थ्य प्राप्त होगी। तरक्की भी होने लगेगी।
- लड्डू गोपाल की पूजा करते हुए उनका पंचामृत से अभिषेक करें। उन्हें तुलसी के साथ माखन-मिश्री का भोग लगाएं और छोटी गरीब बच्चों को भी बांटे। इससे जीवन में आने वाली समस्त बाधाएं दूर होंगी।