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8 March Women Day 2024: बाड़मेर की रूमा देवी कैसे बनी सिलाई-कढ़ाई की क्वीन, जानिए

8 March Women Day 2024 Ruma Devi Journey: हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता हैं। इस कड़ी में हम बात कर रहे हैं, राजस्थान की उन महिलाओं की, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में प्रदेश का मान बढ़ाया हैं। इस लिस्ट में बाड़मेर की रहने वाली रूमा देवी का भी नाम प्रमुखता से लिया जाना जरुरी हैं। प्रदेश के एक छोटे से गांव से निकलकर अमेरिका तक का सफ़र तय करने वाली रुमा देवी का जीवन हर किसी को जानना चाहिए। रुमा देवी ने शायद ही कभी सोचा होगा कि, वो कभी 40 हजार से भी ज्यादा महिलाओं को रोजगार देने में सक्षम हो पाएगी। चलिए जानते हैं उनका प्रेरणादायी सफर-

रुमा देवी बताती है कि, जब वह महज पांच साल की थी, तो उन्होंने अपनी मां को खो दिया था। इसके बाद उनके पिता ने दूसरी शादी की और वह खुद अपनी दादी के साथ रहकर सिलाई-कढ़ाई सीखने लगी। परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी, इसलिए 8वीं के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। साल 2008 में उनकी पहली संतान का जन्म हुआ, जिसे आर्थिक तंगी के चलते उन्होंने खो दिया। वह इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी, इसलिए काम करने की ठानी।

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सेकेंड हैंड मशीन से शुरू किया काम

रुमा बताती है कि, उसने लगभग 10 महिलाओं से 100-100 रुपए इकट्ठा किये और एक सेकेंड हैंड सिलाई मशीन खरीदी। इस मशीन से प्रोडक्ट्स बनाना शुरू किया। इसके बाद रूमा ने दुकानदारों से बात कर धीरे-धीरे उन्हें प्रॉडक्ट्स बेचना शुरू कर दिया। साल 2009 में वह काम के लिए ग्रामीण विकास व चेतना संस्थान पहुंची और इसका हिस्सा बनी। बाद में वह इसी संसथान की प्रेसिडेंट भी बन गई। इसके बाद उन्होंने इस काम को विदेश ले जाने की ठानी।

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नारी शक्ति पुरस्कार से नवाजा गया

उन्होंने ट्रेडिशनल सिलाई-कढ़ाई (Traditional Sewing-Embroidery) को बड़े सकेल पर ले जाने का निर्णय किया और वह सफल भी रही। आज उनका बना प्रोडक्ट्स गांव से बनकर अमेरिका तक सप्लाई होता हैं। साल 2018 में रूमा को नारी शक्ति पुरस्कार से नवाजा गया। रुमा कहती है कि, मुश्किलें तो सबके जीवन में आती हैं, लेकिन सबसे ज्यादा जरूरी है हौसला रखना और अपने हुनर को अपनी पहचान बनाकर आत्मनिर्भर बनना।

Aakash Agarawal

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