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सोना क्यों अक्षय तृतीया पर खरीदा जाता है? क्या है विशेषता? जानिए

 सोना अक्षय माना जाता है। यह कभी नष्ट नहीं होता। तभी साधु का गुण भी सोने जैसा बताया गया है। जिसको किसी भी रूप में ढाले, तोड़ ले, मरोड़ ले लेकिन फिर भी वह अक्षय तृतीया विशेष संयोग के साथ शुभ फलदाई होगा। जानिए कैसे?

 सोना अक्षय माना जाता है। यह कभी नष्ट नहीं होता। तभी साधु का गुण भी सोने जैसा बताया गया है। जिसको किसी भी रूप में ढाले, तोड़ ले, मरोड़ ले लेकिन फिर भी वह अपना गुणधर्म नहीं छोड़ता। इसी प्रकार सोना भी अपना गुणधर्म नहीं छोड़ता। इसीलिए इसे अक्षय माना जाता है। जिसका कभी क्षय नहीं होता। ऐसे में अक्षय तृतीया पर सोने की खरीदी शुभ मानी जाती है। वेदों में भी सोने को दैवीय और शुद्ध पवित्र धातु कहा गया है। सोने का ही महत्व है। कि जब कभी कोई चीज  घर में अशुद्ध हो जाती है। तब घर में सोने की धातु से छींटे मारे जाते हैं।

मान्यता है कि इस दिन सोना खरीदने से सुख, समृद्धि बढ़ती है। परिवार में खुशहाली आती है। यदि आप सोना खरीदने में सक्षम ना हो तो भी कोई बात नहीं आप उसका स्मरण मात्र भी कर सकते हैं। यह भी शुभ फलदाई है महत्व तो वैसा बनने में है।वैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने के दाम बढ़ते जा रहे हैं। लेकिन फिर भी ज्योतिष के जानकार बताते हैं। कि इस साल भी सोने के दाम बढ़ने की संभावना है। सोने के अलावा अक्षय तृतीया पर आप कोई भी कीमती धातु, ज्वेलरी या फिर भूमि भवन की खरीदारी कर सकते हैं। इस पर्व पर कुछ लोग रियल स्टेट में भी अच्छा खासा निवेश करते हैं‌। जिससे बाजार को भी उछाल मिलता है।
ज्योतिषी की माने तो स्नान दान का पर्व अक्षय तृतीया, 900 सालों में इस बार विशेष संयोग लेकर आ रहा है। ऐसे में गोल्ड और रियल एस्टेट में निवेश करना शुभ संकेत है
दान का महत्व

अक्षय तृतीया अबूझ मुहूर्त है। ऐसे में शादी जैसा शुभ मुहूर्त भी अबूझ मुहूर्त, में कभी भी किया जा सकता है। स्कंद पुराण, नारद और पद्म पुराण कई ग्रंथों में कहा गया है। कि अक्षय तृतीया पर किया गया दान हमेशा पुण्य फल देता है। इसी दान में भोज्य सामग्री, तिल, नमक, सोना के साथ-साथ अगर कन्यादान किया जाए तो वह विशेष फलदाई होता है और कन्यादान महादान की श्रेणी में गिना जाता है। गर्मियां शुरू हो चुकी हैं। ऐसे में हमारे शास्त्रों ने हमें प्रकृति प्रिय रहने की भी प्रेरणा दी है। इसी का उदाहरण है कि लोग पक्षियों के लिए परिंडे और राहगीरों के लिए प्याऊ खोलते थे। लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई है। सब कुछ हाईटेक हो गया है। ऐसे में इन बदली हुई परंपराओं के साथ आप अपनी श्रद्धा के अनुरूप सीजनेबल फल, मटका और भोज्य सामग्री दान कर सकते हैं।

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