इस दुनिया में एक ऐसा देश है जो भारतीय अमीरों के लिए Tax Haven यानि स्वर्ग है। इसके पीछे का राज इस देश द्वारा चलाई गई गोल्डन पासपोर्ट योजना है। यह देश कोई नहीं बल्कि साइप्रस है जिसने यह योजना 2007 से चलाई हुई है। इस योजना में दूसरे देशों के अमीर लोगों को यहां की नागरिकता दी जाती है। इसके पीछे का उद्देश्य साइप्रस में विदेशी निवेश को बढ़ावा देना है।
साइप्रस के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस योजना के तहत इस देश में कुल 7327 लोगों को पासपोर्ट जारीर किया गया। इनमें से 3,517 तो इनवेस्टर्स ही थे। बाकी बचे लगभग 5000 लोग भी उन्हीं के परिवार के थे। ऐसे में आइए जानते हैं कैसे साइप्रस भारतीय अमीरों के लिए टैक्स हेवन बन गया।
Cyprus की गोल्डन पासपोर्ट योजना के जरिए भारत ने भी अपने देश के 66 रईस भारतीयों को गोल्डन पासपोर्ट जारी किया है। लेकिन आपको बता दें कि साइप्रस की 'गोल्डन वीजा' योजना भारत में 2020 में बंद कर दिया गया था। इसके पीछे का कारण कथित रूप से आपराधिक आरोप या पॉलिटिकली एक्सपोज्ड पर्सन गोल्डन पासपोर्ट लेकर वहां सुरक्षित रहने का था।
आपको बता दें कि Golden Passport से गोल्डन पासपोर्ट प्राप्त कर भारत में मनी लॉन्ड्रिंग या किसी और आपराधिक मामले झेल रहे लोग साइप्रस में सुरक्षित रह सकते है। एक रिपोर्ट के मुताबिक गोल्डन पासपोर्ट दिए जाने वाले 66 भारतीयों में गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडाणी, रियल एस्टेट बैरन सुरेंद्र हीरानंदानी और कारोबारी पंकज ओसवाल का नाम भी है। इसके बाद कुल 83 लोगों के पासपोर्ट रिवोक किया गया। इनमें बिजनेसमैन अनुभव अग्रवाल भी नाम शामिल है। इनका 3,600 करोड़ रुपये के नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड घोटाले में नाम आ चुका है। अनुभव 2020 के जून महीने में गिरफ्तार भी किया जा चुका था।
आपको बता दें कि अनुभव अग्रवाल ही ऐसे अकेले ऐसे भारतीय नहीं जो ईडी के मामले में फंसने के बाद साइप्रस की नागरिकता ली है। बल्कि, इसमें एमजीएम मारन का नाम भी भी शामिल है। मारन तमिलनाडु के बड़े बिजनेसमैन हैं जिन्होंने 2016 में साइप्रस की नागरिकता ले ली थी। उनकी कंपनी की भी ईडी जांच कर रही है। इसमें मशहूर कारोबारी विकर्ण अवस्थी और उनकी पत्नी रितिका अवस्थी भी शामिल है। इस लिस्ट में रियल एस्टेट डेवलपर सुरेंद्र हीरानंदानी और उनका परिवार भी शामिल है।
आपको बता दें कि टैक्स हेवन ऐसे देशों को कहा जाता है जहां विदेशी निवेशक कम रेट में टैक्स का पे करते हैं अथवा निवेशकों को बिल्कुल भी टैक्स नहीं देना होता। साइप्रस देश भी ऐसे ही देशों में शुमार है। साइप्रस की नागरिकता लेकर कई निवेशक वहां अपनी कंपनियां खोलते हैं। यह काम करने से अधिक टैक्स वाले देशों में टैक्स देने से बच जाते हैं। ये देश ऐसी टैक्स नीति बनाते हैं कि वो विदेशी निवेशकों के अनुकूल होती हैं।
आपको बता दें कि कोई भी व्यक्ति किसी और देश में रह कर टैक्स हेवन में आने वाले देशों के बैंकों में पैसे रख सकते हैं। इस पैसे पर उसकी कोई टैक्स लायबिलिटी नहीं बनती। टैक्स हेवन देशों की सूची में स्विट्जरलैंड, बहामास, बरमूडा, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स, हांगकांग, मॉरीशस, मोनाको, पनामा, अंडोरा, बेलीज, कैमेन आइलैंड, चनाल आइलैंड, कुक आइलैंड, लिंचेस्टाइन, साइप्रस आदि देश आते हैं।
यह भी बता दें कि साइप्रस से नियंत्रित ऑफशोर कंपनियों और ऑफशोर ब्रांचेज पर 4.25 फीसदी टैक्स लगता है। हालांकि, दूसरे देश से प्रबंधित ऑफशोर ब्रांचेज को टैक्स नहीं देना पड़ता। इसके साथ ही साइप्रस में कंपनी खोलने वाले को विदहोल्डिंग टैक्स भी नहीं देना होता। वहीं, ऑफशोर संस्थाओं अथवा शाखाओं के लाभकारी मालिक लाभांश या लाभ पर अतिरिक्त टैक्स के लिये उत्तरदायी नहीं हैं।
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