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मोदी है तो मुमकिन है, पिछले 9 साल में क्या रही, देश की दिशा और दशा?

भाइयों और बहनों अच्छे दिन आने वाले हैं। इसी जुमले के साथ मोदी सरकार ने एक बार नहीं दो बार सत्ता प्राप्त की।  इस बार फिर मोदी सरकार। यह नारे आपको फिर सुनाई देंगे। 26 मई 2014 के लोकसभा चुनाव में जब ऐसे नारे सुनाई दिए तब जनता को उम्मीद थी कि अच्छे दिन आ गए हैं। 2019 में सरकार को 5 साल बीत गए। तब सरकार ने इसी नारे को फिर से दोहराया और इस बार सरकार और भी अधिक प्रचंड बहुमत के साथ जीत कर आई। फिर मोदी  देश के प्रधानमंत्री बने।

आज सरकार को बने हुए 9 वर्ष बीत गए हैं। ऐसे में विपक्ष ने कई सवाल उठाए हैं

दूसरी तरफ मोदी सरकार ने अपनी उपलब्धियां गिनाई है। जिसमें कहा गया है कि पिछले 9 साल में देश ने बहुत प्रगति की है। देश का सकल घरेलू उत्पाद (gross domestic production ) दोगुना  हुआ है। आम आदमी की सालाना कमाई अर्थात per capita income भी दोगुना हुई है। लेकिन महंगाई भी बढ़ी है।
कांग्रेस तथा विपक्ष ने सरकार को महंगाई और मुद्रास्फीति जैसे मुद्दों पर घेरा है। पेट्रोल -डीजल से लेकर आटा- चावल तक की कीमतों में उछाल आया है।

इकोनामी पर इफेक्ट

पिछले 9 वर्षों में भारत की जीडीपी 112 लाख करोड रुपए से बढ़कर आज 272 लाख करोड रुपए से अधिक हो गई है‌। हम दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था में गिने जाने लगे हैं। उम्मीद है कि 2025 तक भारत की जीडीपी $5 ट्रिलियन तक पहुंच जाए। वैसे कोरोना काल में इसे पाना थोड़ा मुश्किल था। फिर भी सरकार के प्रयास जारी है।

इतना ही नहीं हमारा विदेशी मुद्रा भंडार फॉरेक्स रिजर्व भी ढाई गुना बढ़ गया है। शेयर मार्केट में भी सुधार हुआ है। कारोबार करते समय मुद्रा का मजबूत होना जरूरी है। ऐसे में रुपए में भी सुधार देखा गया। रेमिडेस के साथ विदेशी मुद्रा भंडार बड़ा है। इस समय देश में लगभग 50 लाख करोड रुपए से ज्यादा का विदेशी मुद्रा भंडार है। जो अपने आप में उपलब्धि है। इसके पीछे आरबीआई का योगदान भी है।

मेक इन इंडिया, वोकल फोर लोकल, आत्मनिर्भर भारत जैसे कदम अर्थव्यवस्था को बूस्ट कर रहे हैं। इतना ही नहीं भारत का एक्सपोर्ट भी सुधरा है। यह भी दूगुना हो गया है। 2022- 2023 में भारत ने 36 लाख करोड रुपए से ज्यादा का सामान एक्सपोर्ट किया था। जबकि 2014 में 19.05 लाख करोड़ का एक्सपोर्ट हुआ था। वैसे इस दौरान इंपोर्ट भी बढ़ा है।
 

कर्ज भी बढ़ा

अर्थव्यवस्था की मजबूती के साथ-साथ देश पर विदेशी कर्ज भी बढ़ा है। मोदी सरकार से पहले देश पर करीब 409 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज था। जो अब बढ़कर डेढ़ गुना यानी करीब 613 अरब डालर पहुंच गया है। अर्थात हर साल औसतन 25 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज भारत पर बढ़ा है। जो चिंता का विषय है।
 

चुनौतियां

इस समय सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार का है। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार इन तीन विषय पर अभी भी सरकार को बहुत कुछ करना है।
देश के विकास के लिए अच्छी शिक्षा प्रणाली होना बहुत जरूरी है। ऐसे में शिक्षा का बजट बढ़ा तो है। लेकिन उतना नहीं जितना बढ़ना चाहिए था। पिछले 9 साल में शिक्षा पर खर्च 30 हजार करोड रुपए ही बढ़ा । जो अन्य देशों से बहुत कम है। देश में स्कूल भी बहुत कम है। सरकार के आने से पहले 15.18  स्कूल थे। जो अब घटकर 14.89 हो गए हैं।

स्वास्थ्य का हेल्थ इन्फ्राट्रक्चर भी कोई खास नहीं सुधरा। हां, इस बार इस में कुछ सुधार देखने को मिला। जो कि कोरोना की देन है। स्वास्थ्य बजट में करीब 140 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस साल स्वास्थ्य के लिए सरकार ने 89 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का बजट रखा है।
इस समय देश में 834 लोगों पर एक डॉक्टर है। वैसे मोदी सरकार में मेडिकल कॉलेज ऐम्स की संख्या बढ़ी है। अभी देश में 660 मेडिकल कॉलेज है। जिनमें एक लाख से ज्यादा एमबीबीएस की सीटें हैं।
 

एग्रीकल्चर

सरकार बनते ही उन्होंने वादा किया था। 2022 तक किसानों की आमदनी दुगनी हो जाएगी जो धरातल पर अभी तक खरा नहीं उतरा । इस सरकार के समय किसानों का एक बड़ा आंदोलन हुआ। जिसमें तीन कृषि कानूनों को वापस ले लिया गया। एमएसपी को लेकर इस गतिरोध के पीछे कुछ सुधार जरूर हुए। मोदी सरकार ने प्रति क्विंटल गेहूं पर ₹775 और चावल पर ₹730 एमएसपी बढ़ाई है।

वैसे सरकार ने 2022 तक किसानों की आमदनी को दुगना करने का वादा किया था। जिसका कोई पुख्ता आंकड़ा अभी तक उपलब्ध नहीं है। वैसे पिछली साल लोकसभा में एग्रिकल्चर पर बनी संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश की। जिसने दावा किया गया था कि 2019 में किसानों की आय 10,248 रू है। जबकि इससे पहले के सर्वै में 2012-13 के दरमियान ₹6426 आंकी गई थी। 

इस समय नरेंद्र मोदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती महंगाई, मुद्रास्फीति और रोजगार की समस्या को दूर करना है। पेट्रोल, डीजल, गैस के बढ़ते दाम से आमजन को राहत चाहिए। पिछले 9 साल में पेट्रोल की कीमत ₹24 और डीजल की कीमत ₹34 प्रति लीटर से ज्यादा बढ़ी है।

इतना ही नहीं महंगाई की मार ने रसोई की हालत खराब कर दी है। पिछले 9 साल में 1 किलो आटे की कीमत 52%, दूध की कीमत 56%, 1 किलो नमक की कीमत 53% और चावल की कीमत 43% बढ़ गई है। हां, अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत की भूमिका और अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को देखते हुए भारत की स्थिति संतोषजनक है।

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