आने वाले दिनों में उम्मीद की जा रही है कि खाने के तेल की कीमतों में गिरावट होगी। बुधवार को सरकार ने खाद्य तेलों पर बेस इंपोर्ट ड्यूटी को 17.5% से घटाकर 12.5% कर दिया है। इनमें रिफाइंड सोया और सूरजमुखी ऑयल शामिल है। भारत मुख्य रूप से अर्जेंटीना, ब्राजील, यूक्रेन और रूस से सोया तेल और सूरजमुखी तेल का आयात करता है। इस कारण अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उतार-चढ़ाव का घरेलू बाजार पर सीधा असर पड़ता है।
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वनस्पति तेलों का दुनिया में सबसे बड़ा खरीददार भारत है। भारत अपनी मांग का लगभग 60% तेल आयात करता है। केंद्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में हुई गिरावट को देखते हुए इस महीने की शुरुआत में ही खाद्य तेल एसोसिएशन से तेल की कीमतों में कटौती करने के लिए कहा था। यह कटौती 8-12 रुपए प्रति लीटर की जानी थी। खाद्य मंत्री ने भी बैठक कर कहा था जिन कंपनियों ने तेल की कीमतें कम नहीं की है उन्हें भी कीमतें घटानी होगी।
इस साल तेल की कीमतें
भारत का अप्रैल महीने का तेल का आयात बढ़ा है। अगर सोयाबीन तेल की बात करें तो आयात 1% बढ़कर 262,000 टन हो गया। वहीं सोयाबीन तेल की कीमत अप्रैल में 90,000 रुपए प्रति टन थी। इसके साथ ही सूरजमुखी तेल का आयात 68% बढ़कर 249,000 टन हो गया और सूरजमुखी तेल की कीमत 92,000 रुपए प्रति टन थी।
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खबरों के मुताबिक सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर BV मेहता ने कहा, तेल की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए यह कदम उठाया गया है। कुल आयात की बात करें तो भारत सालाना 14 MT तेल आयात करता है। इसमें कच्चे तेल और रिफाइंड तेल की हिस्सेदारी 75% और 25% है। सालाना खपत 24 MT है।