जयपुर। Makka Ki Kheti : बारिश होते ही अब किसान मानसून की फसलें बोने को तैयार हैं जिनमें मक्का, बाजारा, ज्वार, ग्वार, तिल, मूंग—मोठ, चोला, उड़द आदि प्रमुख है। हालांकि, खरीफ की फसल में अधिकतक लोग मक्का की खेती (Makka Ki Kheti) करना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि इसमें लागत कम और मुनाफा ज्यादा होता है। इसी के साथ ही अब मार्केट में भी मक्का की ऐसी किस्मों के बीज आ चुके हैं जो सामान्य बीजों की तुलना में 4 गुना अधिक तक पैदावार देते हैं। मक्का के बीजों की ये किस्में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई जो अधिक उत्पादन देती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि किसान मक्का की कौन—कौनसी किस्मों के बीज उगाकर अधिक से अधिक पैदावार हासिल कर सकते हैं।
मक्का की यह किस्म (Makka Ki Kism) सबसे अधिक उगाई जाती है। इस मक्का के दाने पीले रंग के होते है। इस किस्म की मक्का की खेती 90 से 100 दिन की अवधि में पककर तैयार हो जाती है। गंगा—5 मक्का की किस्म के बीजों से 50 से लेकर 60 क्विंटल तक पैदावार होती है।
मक्का की पार्वती किस्म के पौधों ऊंचाई मध्यम होती है। इस मक्का के एक पौधे में 2 भुट्टे सामान्यत: पौधे के बीच या थोड़ा की ऊपर ओर लगते हैं। पार्वती किस्म की मक्का के बीज दाने नारंगी पीले रंग के एवं सख्त होते हैं। इस किस्म की मक्का की खेती 110 से लेकर 115 दिन में पककर तैयार हो जाती है। मक्का की इस किस्म से प्रति एकड़ लगभग 14 क्विंटल तक पैदावार होती है।
शक्ति-1 किस्म मक्का की जल्दी पकने वाली किस्मों (Maize Varieties) में शुमार है। मक्का की शक्ति—1 किस्म को पूरे भारत में उगाया जाता है। इस मक्का के बीज नारंगी सफेद रंग के होते हैं। मक्का की यह मध्यम समय में पकने वाली किस्म है। इसकी खेती 90 से लेकर 95 दिन में तैयार हो जाती है। इस किस्म के बीजों से 50 क्विंटल प्रति एकड़ तक उपज होती है।
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मक्का की इस किस्म की खेती पूरे भारत में हो सकती है। यह किस्म इसकी संकर किस्मों वाली है जो जल्दी पककर तैयार होती है। मक्का की प्रकाश (JH 3189) किस्म बुवाई के 80 से लेकर 85 दिन के भीतर तैयार हो जाती है। इस किस्म से 25 से लेकर 30 क्विंटल प्रति एकड़ तक पैदावार होती है। मक्का की इस किस्म की खेती सिंचित और असिंचित दोनों क्षेत्रों में की जा सकती है।
यह एक मध्यम अवधि की किस्म की मक्का है जो 80-85 दिन में तैयार होती है। X 1174 EV किस्म की मक्का के दाने पीले नारंगी रंग के होते हैं। यह किस्म सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त होती है। मक्का की इस किस्म को पूरे भारत में उगाया जा सकता है। इस किस्म की मक्का की पैदावार 25 से 35 क्विंटल प्रति एकड़ तक प्राप्त होती है।
मक्का की बुवाई बारिश शुरू होते ही करनी चाहिए। यदि सिंचाई के साधन की उपलब्धता है तो बारिश शुरू होने के 10 से 15 दिन पहले ही बुवाई कर सकते हैं जिससें पैदावार में बढ़ोतरी होती है। मक्का के बीज की बुवाई खेत की मेड़ के किनारे व ऊपर 3 से 5 सेमी की गहराई पर करें। मक्का की बुवाई के एक माह बाद पौधा उग आने पर मिट्टी चढ़ाने का काम करें। मक्का की बुवाई के समय खेत में पौधों की संख्या प्रति हैक्टेययर 55 से 80 हजार के हिसाब से रखें। मक्का की बुवाई के समय पौधों की कतार व दूरी उसकी किस्म के अनुसर रखनी चाहिए। जल्दी पकने वाली मक्का की किस्मों के लिए कतार से कतार की दूरी 60 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 20 सेमी रखनी चाहिए। वहीं, मध्यम अथवा देरी से पकने वाली मक्का किस्मों के लिए एक कतार से दूसरी कतार की दूरी 75 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 25 सेमी रखनी चाहिए। अगर आप मक्का की खेती हरे चारे की फसल के रूप में करना चाहते हैं तो फसल के लिए एक कतार से दूसरी कतार की दूरी 40 सेमी और एक पौधे से दूसरी पौधे की दूरी 25 सेमी रखनी चाहिए।
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