PMFBY : भारत के किसी भी राज्य में अब किसानों की फसल खराब होती है तो उन्हें मुआवजा मिलता है। हालांकि, मुआवजा उठाने के लिए किसानों को आवेदन करना होता है। इसके लिए सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लायी गई है। इस योजना में किसान अपनी खरीफ की फसलों का बीमा करवा सकते हैं। इसके बाद यदि बारशि से फसल खराब हो जाती है तो उन्हें सरकार की तरफ से मुआवजा दिया जाएगा। इस योजना के तहत फसल बीमा कराने की आखिरी तारीख 31 जुलाई तय की गई है। इसको लेकर राजस्थान सरकार की तरफ से भी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
राजस्थान सकरार में कृषि आयुक्त कन्हैया लाल स्वामी ने बयान जारी करते हुए कहा है कि राज्य सरकार द्वारा खरीफ फसलों के लिए बीमा अधिसूचना जारी की गई हे। इस योजना में अधिसूचित फसलें बाजरा, ज्वार, मक्का, मूंग, मोंठ, ग्वार, चंवला, उड़द, अरहर, सोयाबीन, तिल, धान, कपास और मूंगफली रखी गई है। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए प्रत्येक जिले के लिए एग्रीकल्चर इन्श्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड को अधिसूचित किया गया है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसानों द्वारा खेतों में बोई गयी फसलों की सूचना 29 जुलाई तक लिखित में देनी है ताकि फसलों का बीमा सम्बन्धित बैंक या समिति दवारा किया जा सके। हालांकि, जो ऋणी किसान फसल बीमा नहीं कराना चाहते वो 24 जुलाई तक बैंक को लिखित में सूचना देकर इस योजना से बाहर हो सकते हैं।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों द्वारा अपनी खरीफ फसलों का बीमा 31 जुलाई तक कराया जा सकता है। उन्हें खरीफ की फसल के लिए बीमित राशि का 2%, रबी के लिए 1.5% और वाणिज्यिक व बागवानी फसलों के लिए 5% प्रीमियम देना होगा।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में फसल का बीमा कराने के बाद बुआई से लेकर कटाई तक सूखा, लम्बी सूखा अवधि, बाढ़, जलप्लावन, कीट एवं व्याधि, भू-स्खलन, बिजली गिरने से लगी आग, तूफान, ओलावृष्टि और चक्रवात समेत ऐसी प्राकृतिक घटनाएं जिन्हें नियंत्रित नहीं किया जा सकता उनके लिए क्लेम मिलता है। इतना ही नहीं बल्कि फसल कटाई के बाद 14 दिन तक सूखने के लिए खेत में छोड़ी गई फसल यदि चक्रवात, चक्रवाती वर्षा, असामयिक वर्षा तथा ओलावृष्टि से खराब होती है तो व्यक्तिगत आधार पर फसल बीमा क्लेम दिया जाता है। अब बीमा कंपनी को बीमित किसानों का विवरण 15 अगस्त तक वेबसाइट पर अनिवार्य रूप पब्लिश करेगी।
किसानों को अपनी फसल का बीमा कराने के लिए भू-स्वामित्व का आधार लेड पजेशन प्रमाण पत्र, बैंक खाता संबंधित जाकनारी और आधार कार्ड की कॉली ऑनलाइन जमा करानी होती है। इसके बाद अपनी बीमित फसल की निर्धारित प्रीमियम राशि संबंधित बीमा कम्पनी के खाते में जमा करानी होती है। इसके बाद फसल खराब होने पर बीमा क्लेम का पेमेंट बैंक के जरिए संबंधित बैंक के माध्यम से संबंधित उस किसान के खाते में जमा कराया जाता है। बीमा ईकाई गारंटी उपज की गणना पिछले 7 वर्षों में से सर्वश्रेष्ठ 5 वर्षों का औसत लेकर अधिसूचित जोखिम स्तर 80 फीसदी से गुणा करके राशि देती है।
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