J K Rowling Biography: हैरी पॉटर सीरिज लिखने वाली लेखिका जे के रॉलिंग अपने आप में एक ब्रांड बन चुकी हैं। आज वह दुनिया की सबसे अमीर लेखिका है जिन्होंने केवल नॉवेल लिख कर इतना पैसा कमा लिया जितना बड़े-बडे़ बिजनेसमैन और स्टार्टअप वाले भी नहीं कमा पाएं। कभी उनकी भी लाइफ किसी आम आदमी की तरह ही परेशानियों, समस्याओं और स्ट्रेस से भरी हुई थी।
सिर्फ 6 वर्ष की उम्र में लिख दिया था उपन्यास
जे के रॉलिंग ने खुद को मजबूती के साथ कठिन हालातों से बाहर निकाला और पूरे विश्व को एक जादुई दुनिया में डुबो दिया। 31 जुलाई 1965 को इंग्लैंड में जन्मी रॉलिंग में बचपन से लिखने का हुनर था। उन्होंने महज 6 वर्ष की उम्र में अपना पहला उपन्यास ‘Rabbit’ लिख दिया था।
उनका बचपन भी पश्चिमी देशों के सामान्य बच्चों जैसा ही था। बचपन में ही माता-पिता का अलगाव और दूसरे दुखद हादसे देखने पड़े। ऐसे में उन्होंने लेखन को ही अपना साथी बनाया और ज्यादा पहले से बेहतर लिखने लगी। उस समय के अनुभवों को पिरोते हुए उन्होंने कई कहानियां लिखीं, जिन्हें बाद में सराहा गया।
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सेक्रेटरी के रूप में शुरू किया कॅरियर
पढ़ाई पूरी होने के बाद जे के रॉलिंग ने Amnesty International में Bilingual Secretary के रूप में जॉब शुरु की। शब्दों से खेलने की अपनी कला को काम लेते हुए उन्होंने एमनेस्टी के मिशन को दुनिया भर के देशों तक पहुंचने में सहायता की। उस समय उन्हें ऐसे कई हालात देखने पड़े जिन्होंने समाज में न्याय, सहानुभूति और बराबरी पर उनके विचारों को जबरदस्त रूप से हिला दिया।
1990 में आया हैरी पॉटर का आईडिया
जे के रॉलिंग ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि 1990 के दौरान वह एक ट्रेन में मैनचेस्टर से लंदन का सफर कर रही थी। इसी समय अचानक उनके दिमाग में एक अजीब सा अनुभव हुआ और उन्हें हैरी पॉटर लिखने का आईडिया आया। जब तक ट्रेन का सफर पूरा होता, उससे पहले ही उन्होंने हैरी पॉटर की पूरी कहानी सोच ली थी और उन्हें यह भी अंदाजा हो गया था कि यह कहानी सात उपन्यासों में पूरी होगी।
हैरी पॉटर की पहली बुक छपवाने में आया जोर
रॉलिंग ने अपने नए उपन्यास की पूरी कहानी सोच ली थी, लेकिन इसे पन्नों पर उतारने में उन्हें बहुत समय लग गया। इस बीच उनका अपने पति से तलाक हो गया, मां की मृत्यु हो गई। पर्सनल लाइफ में भी उन्हें कई समस्याओं से जूझना पड़ा। इसके अलावा उन्हें खुद के और अपने बच्चे के गुजारे के लिए नौकरी का भी जुगाड़ करना था।
किसी तरह पांच साल बाद 1995 में उन्होंने हैरी पॉटर सीरिज के पहले नॉवल ‘Harry Potter & The Philosopher’s Stone’ को पूरा किया। इसके बाद उन्होंने इसे पब्लिशर्स को भेजना शुरू किया, लेकिन हर जगह से उन्हें रिजेक्शन ही मिला। Economic Times के एक लेख के अनुसार कम से कम 12 पब्लिशर्स ने उनके उपन्यास को वाहियात बताते हुए रिजेक्ट कर दिया।
आखिर में वह क्रिस्टोफर नाम के एक लिटरेरी एजेंट से मिली जिसके सहयोग से उनकी बुक छप सकी। इसे Bloomsbury Publishing नामक पब्लिशर ने छापा और छापते ही इतिहास बन गया। देखते ही देखते इस किताब की दस करोड़ से ज्यादा कॉपीज बिक गई। इसके बाद उन्होंने दूसरा पार्ट ‘Harry Potter and the Chamber of Secrets’ लिखा जो पहले पार्ट से ज्यादा पढ़ा गया।
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किताबों के साथ-साथ फिल्मों से भी हुई कमाई
इन दोनों किताबों ने उनकी किस्मत बदल दी। किताब के लिए युवाओं में जबरदस्त रूझान को देखते हुए Warner Brothers ने इस किताब पर फिल्म बनाई और एक के बाद उनकी सातों किताबों पर सात मूवी रिलीज हुई जो जबरदस्त हिट हुई। किताब की रॉयल्टी और फिल्मों को कॉपीराइट देने से रॉलिंग जल्द ही खरबपति बन गई। माना जाता है कि इस एक नॉवेल सीरिज से उन्हें एक बिलियन डॉलर (लगभग 100 करोड़ रुपए) से अधिक की इनकम हुई।
हैरी पॉटर सीरिज के बाद लिखे कई अन्य उपन्यास
जे के रॉलिंग ने अपने जीवन में केवल हैरी पॉटचर सीरिज ही नहीं लिखी बल्कि इसके बाद भी वह लगातार लिखती रही। उन्होंने वर्ष 2001 में अपने दो नए नॉवेल Fantastic Beasts and Where to Find Them और Quidditch Through the Ages लिखे जिन्हें भी खूब सराहना मिली।