Schools Entrepreneurship: हमारा देश दुनिया में बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहा है। हमने चांद पर कदम जमा लिए है। हमारी अर्थव्यवस्था तेजी से दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। दुनिया की सबसे ज्यादा युवा आबादी वाला भारत देश बेरोजगारी की मार से अब तक आज़ाद नहीं हो पाया है। कारण साफ है कि हम चाहे कितनी ही शिक्षा ले ले लेकिन वह शिक्षा व्यवहारिक कम किताबी ज्यादा होती है। हमारे देश की शिक्षा पद्धति अंग्रेजों के जमाने से उसी एक ढर्रे पर चलती आई है। मतलब रट रटकर अच्छे नंबर लाने की होड़ में हमारे होनहार स्टूडेंट्स धीरे-धीरे सीखना भूल जाते हैं। और नतीजा यह होता है कि जब एक उच्च डिग्री धारी बीटेक एमटेक एमबीए मार्केट में जाता है तो उसे वैसी नौकरी नहीं मिल पाती है जिसका वह हकदार होता है। क्योंकि उसके अंदर वह कौशल और हुनर नहीं होता है जो उसे कंपनी को चाहिए होता है। इसीलिए सब लोग सरकारी नौकरी के पीछे भागना शुरू कर देते हैं। कोचिंग वालों की चांदी हो जाती है और बेरोजगारी में इजाफा हो जाता है।
यह भी पढ़ें:Jodhpur News: भजनलाल सरकार के मंत्री जी ने दिखाया रौद्र रुप! लिया बड़ा फैसला
बचपन से सबको यही सिखाया जाता है कि अच्छे मार्क्स लाओ ताकि बढ़िया नौकरी मिल सके। यह कभी नहीं सिखाया जाता है की चीजों को सीख सीख कर आगे बढ़ो ताकि तुम दूसरों को नौकरी दे सको। उद्यमिता का मतलब यही है कि आप खुद किसी के यहां नौकरी ना करके अपना खुद का कारोबार शुरू करके दूसरों को रोजगार दे सके। दिल्ली सरकार ने तो इस पर अमल भी शुरू कर दिया है। वहां के स्कूलों में बाकायदा पाठ्यक्रम में उद्यमिता (Schools Entrepreneurship) शामिल है। यानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बड़े-बड़े उद्यमी स्कूली बच्चों को खुद का रोजगार शुरू करने का तरीका सिखा रहे हैं। दिल्ली सरकार का मानना है कि सरकारी स्कूलों (Schools Entrepreneurship) में उद्यमिता पाठ्यक्रम के पीछे दूरगामी सोच काम कर रही है. अब तक शिक्षा प्रणाली में महज नौकरी की मानसिकता पैदा की जाती थी. शिक्षा का मापदंड यह था कि इस पढ़ाई से अच्छी नौकरी हासिल हो जाएगी. लेकिन आज के युग में यह कोशिश है कि बच्चे नौकरी के लिए भी तैयार हों और साथ ही साथ बिजनेस शुरू करने में भी सक्षम बन जाएं।
यह भी पढ़ें:Budget 2024: शिक्षा और रोजगार के लिए इस बजट में क्या क्या हैं
आज सरकार उद्यमिता (Schools Entrepreneurship) को लेकर कई तरह की योजनाएं चल रही है ताकि लोगों में जागरूकता फैलाई जा सके। लेकिन अगर यही उद्यमिता स्कूलों में सीखना शुरू कर दिया जाए तो परिवर्तन काफी चमत्कारिक हो सकते हैं। कहने का मतलब है कि हमारे स्कूलों में अगर बच्चों को यह सिखाना शुरू कर दिया जाए कि वह किस तरह कोई भी हुनर सीख कर अपना खुद का रोजगार शुरू करके दूसरों को भी नौकरी दे सकते हैं। बेरोजगारी दूर करने का यह तरीका सबसे ज्यादा कारगर साबित हो सकता है। क्योंकि स्कूल के लेवल पर बच्चों का मानसिक स्तर किसी भी चीज को आसानी से ग्रहण कर लेता है। इसलिए यह विचार काफी आमूल चूल बदलाव ला सकता है। कुल मिलाकर स्कूलों में उद्यमिता सिखाने से संबंधित कार्य में भी काफी लोगों को रोजगार मिल जाएगा तथा बाद में इसके परिणाम भी दूरगामी और सकारात्मक होंगे।
PESA Act : जयपुर। जनजातियों की रक्षा करने वाला विश्व के सबसे बड़े संगठन अखिल…
Rajasthan News : जयपुर। प्रदेश अग्रवाल महासभा राजस्थान के जिला अध्यक्ष टिल्लू रूंडल बन गये…
National Human Rights : जयपुर। नेशनल ह्यूमनराइट्स और एंटी करप्शन फोर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ.…
Pumpkin News : अक्सर देखा जाता है कि किसान भाई गर्मीयों की शुरूआत में बाड़ी…
जयपुर। अक्सर देखा जाता है कि किसान भाईयों के पास मोबाइल फोन बहुत जल्दी खराब…
India is known for handmade crafts. Our artisans make beautiful items with their hands, keeping…