Maa pe Munawar Shayari : लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती, बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती….हर साल मई के दूसरे इतवार को मदर्स डे मनाया जाता है। इस साल 12 मई 2024 को मातृत्व दिवस मनाया जाएगा। हालांकि माँ के लिए कोई एक दिन नहीं बल्कि सारी जिंदगी है। इस मौके पर हम सबके फेवरेट शायर मुनव्वर राणा साहब ने माँ के लिए इतना कुछ लिखा (Maa pe Munawar Shayari) है कि जिसका बयान करना मुमकिन नहीं। मुनव्वर साहब के मां की ममता के चंद शेर हम यहां पेश कर रहे हैं। उम्मीद है कि आप सबको उनकी शायरी पसंद आएगी और आप इसे Mother’s Day के मौके पर जमकर शेयर करें।
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माँ पर मुनव्वर राणा की शायरी
(Maa pe Munawar Rana Shayari)
लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती,
बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई,
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई
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मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू,
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना
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इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है,
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
ऐ अँधेरे! देख ले मुँह तेरा काला हो गया,
माँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गया