भारत सरकार द्वारा चाइनीज कंपनियों को देश में 5G ट्रॉयल और रोलआउट में हिस्सा लेने से रोकना भारी पड़ रहा है। वर्तमान में पूरे देश में 5G रोलआउट करने के लिए अमरीकी और यूरोपियन कंपनियों के सहयोग से इंफ्रास्ट्रक्चर डवलप किया जा रहा है।
इस समय देश में नोकिया, सैमसंग और एरिकसन जैसी कंपनियों के सहयोग से 5G इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया जा रहा है। इससे देश में तेज स्पीड इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराई जा सकेगी। यदि कंपनियों की बात करें तो अभी केवल Jio और Airtel ही 5G इंटरनेट सर्विस दे रही हैं।
इसलिए चाइनीज कंपनियों पर लगाया प्रतिबंध
एक्सपर्ट्स के अनुसार चाइनीज कंपनियों को 5G रोलआउट में हिस्सा लेने से रोकने का फैसला देश के लिए महंगा साबित हुआ है। यदि चीनी कंपनियां इस मुहिम में साथ होती तो काफी कम कीमत में 5जी इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया जा सकता था। लेकिन देश की सुरक्षा और प्राइवेसी कारणों के चलते चीनी कंपनियों को बैन कर दिया गया था।
यूरोपियन और अमरीकी कंपनियां उपलब्ध कराती हैं महंगी सुविधा
चीनी कंपनियों की तुलना में यूरोपियन तथा अमरीकी कंपनियां काफी महंगी सुविधा उपलब्ध करा रही हैं। इसके साथ ही उनका पूरा ध्य़ान गांवों के बजाय शहरों और मेट्रो सिटीज पर ज्यादा फोकस है। इसकी वजह से गांवों तक अभी भी 5G सर्विस को पहुंचाया नहीं जा सका है।