देश में इस समय टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग को लेकर बहस चल रही है। एआई और डीपफेक तकनीक की मदद से साइबर ठग आजकल आम आदमी से लेकर मशहूर हस्तियों को निशाना बना रहे हैं। अच्छी खबर है कि भारत के होनहार छात्रों ने इस समस्या का तोड़ खोज लिया है। महज 20 सेकेंड में किसी भी गलत वीडियो की सटीक जांच पड़ताल की जा सकेगी।
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किसने खोजी है एंटी डीपफेक तकनीक?
साइबर सुरक्षा को लेकर पिंकसिटी जयपुर में इन दिनों हैकाथॉन 1.0 कार्यक्रम चल रहा है। देशभर का युवा टैलेंट अपने तकनीकी जुगाड़ को राजस्थान पुलिस से साझा कर रहा है। चंडीगढ़ की चितकारी यूनिवर्सिटी के प्रतिभाशाली युवाओं ने डीप फेक वीडियो को एक्सपोज करने की तकनीक को विकसित कर लिया है।
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कैसे काम करती है तकनीक?
सबसे पहले सिस्टम उस वीडियो को अलग-अलग हिस्सों में तोड़कर जांच करता है। उसके बाद वीडियो की सत्यता को जांचा जाता है। इस तकनीक में चेहरे के कुछ लेंड मार्क और होंठों की गति यानी लिप सिंक्रोनाइजेशन को जांचा जाता है। 20 सेकेंड में पता चल जाएगा कि वीडियो असली है या उसमें किसी तरह की छेड़छाड़ की गई है। आने वाले समय में यह तकनीक काफी यूजफुल साबित होने वाली है।टीम में शामिल छात्रों चेतन कांडपाल, वंशिका गर्ग, हर्षिता बत्रा और अंकित राय के इस प्रोजेक्ट की राजस्थान पुलिस ने काफी सराहना की है।