12 Ramadan Dua: मुस्लिम बंधुओं के लिए रमजान का पाकीजा महीना इबादत और तिलावत में मसरूफ रहने का है। माहे मुबारक रमज़ान की नेकियों का बयान करना मुमकिन नहीं है। आज भारत में 23 मार्च को बारहवां रोजा है। रहमत का पहला अशरा गुजर चुका है। कल से दूसरा मगफिरत का अशरा शुरु हो चुका है। 11 रोजे गुजर गये हैं। अब तक भी अगर आप लोग गफलत में है तो नींद से जागने का वक्त आ गया है। क्योंकि हम आपको आज के दिन एक ऐसी मखसूस दुआ बता रहे हैं जिसे अगर आपने बारह रमजान यानी 23 मार्च के दिन पढ़ लिया तो आपका नाम अल्लाह के पसंदीदा बंदों की लिस्ट में आ जाएगा। बारहवें रमजान को आप ये दुआ (12 Ramadan Dua) पढ़ेंगे तो इंशाअल्लाह बहुत फायदा होगा। बाद नमाज के ये दुआ अव्वल आखिर दुरूद शरीफ के साथ जुमे के बाद आप पढ़ सकते हैं।
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बारहवें रमजान की दुआ
(12 Ramadan Dua)
allahumma zayyinny fihi bilssatri wal-`afafi wasturny fihi bilibasi alqunu`i wal-kafafi wahmilny fihi `ala al`adli wal-insafi
wa aminny fihi min kulli ma akhafu bi`ismatika ya `ismata alkha’ifina
ऐ अल्लाह, आज के दिन मुझे पर्दे और पाक दामनी से ज़ीनत बख्श दे, इसमें मुझे क़िनात और खुद्दारी से धांप दे, इसमें मुझे अदल ओ इंसाफ पर आमादा फरमा, उन चीज़ों से मेरी हिफ़ाजत फरमा जिनसे मैं डरता हूं, ऐ डरने वालों की पनाह गाह।
Aye Allah Aaj Ke Din Mujhe Pardey Aur Paak Damani Se Zeenat Dey, Isme Mujhe Qina’at Aur Khud Dari Se Dhaanp Dey, Isme Mujhe Adl ‘O’ Insaaf Par Aamada Farma, Un Cheezon Se Meri Hifazat Farma Jinse Mein Darta Hun, Aye Darne Walon Ki Panaah Gaah.
اَللّـهُمَّ زَيِّنّي فيهِ بِالسِّتْرِ وَالْعَفافِ، وَاسْتُرْني فيهِ بِلِباسِ الْقُنُوعِ وَالْكَفافِ، وَاحْمِلْني فيهِ عَلَى الْعَدْلِ والإنصاف، وَآمِنّي فيهِ مِنْ كُلِّ ما أخاف، بِعِصْمَتِكَ يا عِصْمَةَ الْخائِفينَ
ALLAH, on this day, beautify me with covering and chastity, cover me with the clothes of contentment and chastity, let me adhere to justice and fairness, and keep me safe from all that I fear, by Your protection, O the protector of the frightened.
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बारहवें रमजान को क्या है खास?
बारहवें रमजान को दूसरे अशरे का दूसरा दिन है। 11 से मगफिरत का दूसरा अशरा शुरु हो चुका है। कहा जाता है कि बारहवें रमजान से लेकर बीस रमजान की शाम तक सभी मुसलमानों की मगफिरत की जाती है। सच्चे दिल से अगर कोई बंदा रमजान के दूसरे अशरे में तौबा इस्तगफार कर ले तो उसकी मगफिरत कुबूल होती है। मतलब गुनाहों से माफी मिलने का यही सबसे बेस्ट टाइम है। बारह रमजान को ये दुआ पढ़ने से आपको पर्दे और जीनत की तौफीक मिलेगी।
दूसरा अशरा क्या है?
अशरा मतलब दस दिनों का एक ग्रुप। रमजान को तीन अशरों में बांटा गया है। पहला अशरा 1 से 10 रमजान तक रहता है, जिसे रहमत का अशरा कहा जाता है। वही दूसरा अशरा मगफिरत का होता है। जो कि 11 रमजान से 20 तक रहेगा। इसके बाद तीसरा और आखिरी अशरा आएगा। 21 से 30 रमजान तक का अशरा जहन्नम की आग से खुलासी का होता है। कल 22 मार्च 2024 को दूसरा अशरा शुरु हो चुका है।