- 15 मिनिट्स ऑफ टेरर
- लैंडिंग के दौरान 4 फेज से गुजरेगा चंद्रयान
चंद्रयान-3 को लेकर एक बार फिर से हलचल होने लगी है। 1 दिन बाद चांद पर इसकी सॉफ्ट लैंडिंग होने वाली है। इसरो से मिली जानकारी के मुताबिक अगर 23 अगस्त को लैंडिंग में कोई परेशानी हुई तो इसे 27 अगस्त को लैंड कराया जा सकता है। वहीं अगर मिशन मून फेल हो जाता है तो दो स्थितियां हो सकती हैं या तो वह अंतरिक्ष में घूमता रहेगा या फिर क्रैश कर जाएगा।
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15 मिनिट्स ऑफ टेरर
चंद्रयान-3 कल शाम को 6.04 बजे चांद पर लैंड कराया जाएगा। इस समय इसकी सबसे कम दूरी 25 किमी होगी। सॉफ्ट लैंडिंग के लिए फाइनल डिबूस्टिंग की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है। चांद पर लैंडिंग कराने में चंद्रयान को 15-17 मिनट लगेंगे। इस टाइम ड्यूरेशन को '15 मिनिट्स ऑफ टेरर' कहा जाता है। यह समय इसरो के वैज्ञानिकों सहित पूरे भारत के लिए महत्वपूर्ण होगा। चांद पर उतारने के 2 घंटे पहले लैंडर मॉड्यूल और चंद्रमा की स्थिति के आधार पर ही तय किया जाएगा कि वो समय लैंडिंग के लिए सही है या नहीं। अगर किसी कारणवश फैक्टर तय पैमाने पर नहीं रहा तो इसकी लैंडिंग फिर 27 अगस्त को कराई जाएगी।
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लैंडिंग के दौरान 4 फेज से गुजरेगा चंद्रयान
चंद्रयान-3 की लैंडिंग के 4 महत्वपूर्ण फेज होंगे। पहला रफ ब्रेकिंग फेज जिसमें लैंडर साइट से 750किमी दूर होगा। 690 सेकंड की इस फेज में विक्रम के सभी सेंसर्स कैलिबरेट होंगे। दूसरी फेज होगी ऑल्टिट्यूड फेज- इसमें विक्रम चांद की सतह की फोटो खीचेंगा और पहले से मौजूद फोटोज के साथ कंपेयर करेगा। इस बार इस पेज का टाइम 10 सेकंड रखा गया है। तीसरा फाइन ब्रेकिंग फेज होगा- 175 सेकंड तक चलने वाले इस फेज में स्पीड 0 पर आ जाएगी और लैंडर की पोजीशन एकदम वर्टिकल होगी।
विक्रम के सेंसर चालू कर फिर से फोटो लिए जाएंगे। फिर होगी चौथी और सबसे इम्पोर्टेंट फेज टर्मिनल डिसेंट फेज- यह 131 सेकंड की होगी। विक्रम पर लगा हैजार्ड डिटेक्शन कैमरा गो-नो-गो टेस्ट रन करेगा। अगर सबकुछ सही रहा तो विक्रम 73 सेकंड में लैंड करेगा। वहीं अगर नो-गो की कंडीशन रही तो 150 मीटर आगे जाकर रुकेगा। फिर से सतह चेक की जाएगी और स्थिति सही होने पर लैंड कराया जाएगा।