जयपुर। 21 November 1971 को ही भारत की मुक्ति वाहिनी सेना ने पाकिस्तान पर धावा बोलते हुए बांग्लादेश बनाया था। ऐसे इतिहास के पन्नों में 21 नवंबर का दिन काफी विशेष मायने रखता है। आपको बता दें कि 25 मार्च 1971 को पश्चिमी पाकिस्तान की सेना ने आप्रेशन सर्चलाइट शुरू करते हुए ढाका पर धावा बोल दिया और एक ही रात में 7000 से अधिक बंगाली विद्वानों तथा अन्य महत्वपूर्ण लोगों को मौत के घाट उतार दिया। पश्चिमी पाकिस्तान की सेना ने पूर्वी पाकिस्तान में हो रहे बदलाव की वजह से युद्ध छेड़ दिया और महिलाओं का जमकर बलात्कार व हत्याएं की।
आपको बता दें कि 21 November 1971 को भारत की मुक्ति वाहिनी सेना ने पाकिस्तान पर हमला बोल दिया। इसके बाद निर्णायक तौर उसें रौंद दिया गया और पाकिस्तान की सेना ने आखिरकार 16 दिसम्बर 1971 को लैफ्टिनैंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इसमें सबसे खास बात ये है कि जनरल आमिर अब्दुल खान नियाजी के साथ ही 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को युद्धबंदी बना लिया गया।
दरअसल, पाकिस्तान नैशनल असैंबली के लिए चुनाव 7 दिसम्बर 1970 को हुए थे। यह पहला ऐसा चुनाव था पाकिस्तान के जन्म के बाद हुआ था और संयोगवश बंगलादेश की स्वतंत्रता से पहला चुनाव भी था। इन चुनावों के तहत 300 निर्वाचन क्षेत्रों में वोट डाले गए। उनमें से 162 पूर्वी पाकिस्तान में थे तथा 138 पश्चिमी पाकिस्तान में। इसके बाद पूर्वी पाकिस्तान में मौजूद 162 सीटों में से शेख मुजीबुर्रहमान की आवामी लीग पार्टी 160 सीटें जीत गई। जबकि किस्तान पीपुल्स पार्टी ने पश्चिमी पाकिस्तान में की सभी 138 सीटों में से सिर्फ 81 सीटें जीतीं।
इसके बाद पाकिस्तान के सैन्य तानाशाह जनरल याहिया खान यह अस्वीकार कर दिया और नैशनल असैंबली का उद्घाटन कर दिया। याहिया खान और पीपीपी के नेता जुल्फिकार अली भुट्टो नहीं चाहते थे कि केंद्र सरकार का नेतृत्व पूर्वी पाकिस्तान आधारित आवामी लीग के शेख मुजीबुर्रहमान के पास चला जाए। इसके बाद याहिया खान ने पूर्वी पाकिस्तान से एक ‘गद्दार’ नुरुल अमीन को प्रधानमंत्री बना दिया।
पश्चिमी पाकिस्तान के जनरलों की 22 फरवरी 1971 को आयोजित बैठक में कोर-कमांडरों ने निर्णय लिया कि प्रतिरोध की बंगाली भावना को दबाने के लिए नरसंहार ही आखिरी उपाय है। इस बैठक में याहिया खान ने ऐलान किया पूर्वी पाकिस्तान के 30 लाख मार दो तो बाकी हमारे साथ आ जाएंगे। इसके बाद 25 मई 1971 तक 30 लाख बंगालियों को निर्दयतापूर्वक काट दिया गया है। इसके बाद पूर्वी पाकिस्तान राइफल्स तथा पूर्वी पाकिस्तान पुलिस के जवानों ने विरुद्ध विद्रोह कर दिया।
इसके बाद कलकत्ता में सेना कार्यालय स्थापित करते हुए भारतीय सेना की पूर्वी कमान के नियंत्रण में पूर्वी पाकिस्तान की निर्वासित सरकार को जोड़ा। भारतीय सशस्त्र बलों तथा मुक्ति वाहिनी सेना बनाई। इसके बाद भारतीय सेना तेजी से ढाका की तरफ बढ़ी। 21 नवम्बर 1971 को मुक्ति वाहिनी द्वारा पश्चिमी पाकिस्तान की सेना की फार्मेशंस में डर पैदा करने के लिए सर्जीकल स्ट्राइक की। इसके बाद हमला 30 नवम्बर तथा पहली दिसम्बर 1971 की मध्य रात्रि को शुरू हुआ। 16 दिसम्बर तक ढाका भारत के हाथों में आ गया। इसके बाद स्वतंत्र बंगलादेश का जन्म हुआ।
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