जयपुर। अयोध्या राम मंदिर में विराजमान होने के बाद अब रामलला अपने देश का पहला पर्व 23 जनवरी (23 January 2024) को मना रहे हैं। यह पराक्रम दिवस (Prakaram Diwas) जो 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस की जयंती (Subhash Chandra Bose Jayanti) के दिन मनाया जाता है। आपको बता दें कि भारत सरकार ने नेताजी की जन्मतिथि 23 जनवरी (Subhash Chandra Bose Birthday) को पराक्रम दिवस घोषित किया हुआ है और इसें हर साल मनाया जाता है।
रामलला मना रहे पहला पराक्रम दिवस
22 जनवरी को पूरा भारतवर्ष में रामलला की भक्ति व भव्य मंदिर में श्रीराम की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में डूबा रहा और अब 23 जनवरी को पराक्रम दिवस मनाएगा। इस बार पराक्रम दिवस के साक्षी स्वयं भगवान श्रीराम बन रहे हैं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्म दिवस पर मनाया जाने वाला पराक्रम दिवस इस बार बेहद खास रहने वाला है। इस दिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस को याद करके उनकी अमर गाथाएं और भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ी उनकी लड़ाई और बलिदान को प्रत्येक देशवासी याद करता है।
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आजार हिंद फौज का किया था गठन
23 जनवरी 2024 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंति है। नेताजी का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में हुआ था। भारत के स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस से अंग्रेज कांपते थे। सुभाष चंद्र बोस की सेना आजाद हिंद फौज भारत को आजाद कराने के लिए लड़ती हुई पूर्वोत्तर भारत तक पहुंच चुकी थी और काफी सारा इलाका अपने कब्जे में कर लिया था। हालाकिं, जापान द्वारा द्धितीय विश्व युद्ध में हथियार डाल देने पर नेताजी की फौज सहायता नहीं मिल सकी और उनका यह सपना अधूरा रह गया।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रेरणादायक बातें
– मनुष्य तब तक जीवित है जब तक वह निडर है।
– दुनिया में सब कुछ नाजुक है. केवल विचार और आदर्श मजबूत हैं।
– प्रकृति के साहचर्य और शिक्षा के बिना, जीवन रेगिस्तान में निर्वासन की तरह है।
– कोई भी व्यक्ति दुनिया के लिए झूठा नहीं हो सकता यदि वह स्वयं के प्रति सच्चा है।
– जीवन में प्रगति की आशा भय, शंका और उसके समाधान के प्रयत्नों से स्वयं को दूर रखती है।
– हमारी सबसे बड़ी राष्ट्रीय समस्याएं गरीबी, अशिक्षा, बीमारी और साइंटिफिक प्रोडक्टिविटी है. जिसका समाधान सामाजिक सोच से ही होगा।
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पराक्रम दिवस क्यों मनाया जाता है?
पराक्रम दिवस मनाने की खास वजह है। इस दिन का संबंध सुभाष चंद्र बोस है। इस दिन सुभाष चंद्र बोस को नमन किया जाता है और उनके योगदान को याद करते हैं। सुभाष चंद्र बोस ने देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए अहम भूमिका निभाई थी।
23 जनवरी पराक्रम दिवस क्या है?
पराक्रम दिवस-2024 के अवसर परदिल्ली के लाल किले में ऐतिहासिक प्रतिबिंबों और जीवंत सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों को एक साथ जोड़ते हुए एक बहुआयामी उत्सव मनाया जाएगा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 जनवरी की शाम को इस कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे और यह उत्सव 31 जनवरी तक जारी रहेगा।
पराक्रम दिवस कब घोषित किया गया था?
नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था। इसलिए 232 जनवरी का दिन पराक्रम दिवस के रूप में देशभर में मनाया जाता है। पहली बार इस दिवस को साल 2021 में नेताजी के 124वें जयंती के अवसर पर पराक्रम दिवस के रूप में मनाया गया।
पराक्रम दिवस कहाँ मनाया गया था?
"पराक्रम दिवस" पूरे देश में विभिन्न आयोजनों और कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता है। हर साल इस दिन बोस की जन्मस्थली कोलकाता में एक राष्ट्रीय स्तर का समारोह आयोजित किया जाता है। बोस की जयंती को "पराक्रम दिवस" के रूप में मनाने के कदम का भारत के लोगों ने व्यापक स्वागत किया है।