Shabe Qadr Nawafil : रमजान का आखिरी अशरा चल रहा है। एक शबे कद्र परसो हो चुकी है। दूसरी शबे कद्र आज 2 अप्रैल की रात को है। कुरान में लैलतुल कद्र पर एक सूरत भी उतारी गई है जिसे सूरह कद्र कहते है। हजार महीनों से अफजल ये रात आखिरे अशरे की विषम रातों में पाई जाती हैं। जैसे 21,23,25,27,29 रातों में ये शबे कद्र की रात होती है। इस रात में दुआएँ कुबूल होती हैं तथा मौला की खास रहमत लेकर रूहूल कुदूस जिब्रील अमीन मलाईका के साथ जमीन पर उतरते हैं। दूसरी शबे कद्र में आपको नफिल नमाज का तरीका (Shabe Qadr Nawafil) हम बता रहे हैं। ताकि अल्लाह की खास रहमत आप पर इस रात में नाजिल हो और आप एक हजार महीने की इबादत का सवाब पा सके।
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सबसे पहले इस तरह शबे कद्र की नमाज की नियत करें। नियत की मैंने 4 रकात नफिल नमाज़ शब ए कद्र की वास्ते अल्लाह ताला के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर। इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए नाफ के नीचे हाथ को बांध ले जैसे नमाज में बांधते हैँ। उसके बाद सना पढ़े जैसे नमाज में पढ़ते हैँ। सुब्हानका अल्लाहुमा वो बेहम्दीका वतबारकसमुका वतआला जद्दोका वलाइलाहा गैरुका
उसके बाद चारो रकात में सूरह फातिहा के बाद सूरह क़द्र 3 बार और सूरह इख़्लास 50 बार पढ़े फिर सलाम फेरने के बाद सजदे में जाकर एक बार ये दुआ पढ़ें। सुबहानल्लाही वल्हम्दुलिल्लाहि वला इलाहा इल्लाहो वल्लाहो अकबर वला हवल वला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाहिल अलीईल अजिम। इसके बाद जो दुआ मांगेगे इंशाअल्लाह जरूर क़ुबूल होगी।
हजरते अली शेरे खुदा का इर्शाद है कि जो शख्स रमजानुल मुबारक कि शबे कद्र में 2 रकात नमाज इस तरह अदा करें के उसके हर रकात में सूरह फातिहा के बाद सूरह क़द्र एक बार और सूरह इख़्लास 100 बार पढ़े और जब नमाज़ से फ़ारिग हो जाये तो 100 बार दरुद शरीफ पढ़े तो उस शख्स को बेशुमार अजरो सवाब हासिल होगा तथा उसके गुनाह माफ कर दिए जाएंगे।
‘लैल’ का मतलब अरबी में रात से है जबकि क़द्र का मतलब सम्मान या इज्जत से है। इस प्रकार लैलतुल कद्र का मतलब है सम्मान और शान की रात। इसे ‘शब-ए-कद्र’ भी कहा गया हैं। जिस रात में कुरान शरीफ को आसमान से जमीन पर नबी ए करीम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर नाजिल किया गया था उसे लैलतुल कदर यानी शबे कद्र की रात कहा जाता है। कुरान में लिखा है कि ये रात 1000 महीने के बराबर है।
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शबे कद्र की पवित्र रात इन पांच ताक रातों में से कोई एक रात ही होती है। लेकिन जब ये बात अल्लाह ने हुजूर को बताने का फैसला किया तभी मक्का में दो लोग आपस में लड़ाई कर रहे थे। उनके झगड़े की वजह से मौला ने शबे कद्र की सही तारीख छुपा दी। तो अब मुसलमान इन पांच रातों में जागकर वो एक रात लैलतुल कद्र तलाश करते हैं। भारत में 27वीं शब को ज्यादा महत्व दिया जाता है। जबकि laylatul qadr 2024 पांच में से कोई भी एक रात हो सकती है। अल्लाह हमें शबे कद्र की कदर करने की तौफीक अता फरमाएँ।
पहली शबे कद्र की रात 31 मार्च की रात को गुजर चुकी है। अब दूसरी रात 23वीं रात होगी, यानी आज 2 अप्रैल को बाईसवें रमजान की रात है। क्योंकि इस्लाम में हिजरी कैलेंडर शाम के समय से अगली शाम तक चलता है। मतलब रोजा अगर 22वां है तो उस दिन 23वीं रात होगी। ऐसे में भारत में दूसरी लैलतुल कद्र (2nd Shab e Qadr) की रात आज की रात 2 अप्रैल 2024 की रात होगी।
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